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Ratha saptami 2021 : भगवान सूर्य की जयंती पर करें ये 5 कार्य

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अनिरुद्ध जोशी

शुक्ल पक्ष के दौरान माघ महीने में 7 वें दिन, अर्थात सप्तमी तिथि, रथ सप्तमी का उत्सव मनाया जाता है। रथ सप्तमी का त्योहार वसंत पंचमी समारोह के दो दिन बाद किए जाते हैं। रथ सप्तमी का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इस त्योहार के अन्य लोकप्रिय नाम माघ सप्तमी, माघ जयंती और सूर्य जयंती हैं। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी, विधान सप्तमी और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 19 फरवरी 2021 को रथ सप्तमी का त्योहार मनाया जाएगा।
 
 
क्या है रथ सप्तमी?
1. रथ सप्तमी त्योहार भगवान सूर्य की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इसीलिए इस सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है।
 
2. यह माना जाता है कि इस विशेष दिन पर, भगवान सूर्य ने अपनी गर्माहट और चमक से पूरे ब्रह्मांड को चमका दिया था। इस दिन रथ सवार भगवान सूर्य उत्तरी गोलार्ध में गमन करते हैं।
 
 
3. यह दिन गर्मियों के आगमन को प्रदर्शित करता है। दक्षिणी भारत में जलवायु परिस्थितियों में बदलाव का संकेत देता है। यह किसानों के लिए फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है। 
 
4. तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर, श्री मंगूज मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में रथ सप्तमी के दिन मंदिरों में भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
 
 
क्या करते हैं रथ सप्तमी पर?
1. इस दिन दान-पुण्य कार्य करने से अत्यधिक शुभ की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस अवसर की पूर्व संध्या पर दान करने से भक्तों को अपने पापों और बीमारी से छुटकारा मिलता है और दीर्घायु, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ मिलता। 
 
2. इस दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और जब सूर्य उदय हो तो सूर्य को अर्घ्यदान देने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। तमिलनाडु के क्षेत्रों में लोग पवित्र स्नान करने के लिए इरुकु पत्तियों का उपयोग करते हैं। कृत्यरत्नाकर के पृष्ठ- 509, वर्षक्रियाकौमुदी के पृष्ठ- 499 से 502, कृत्यतत्व के पृष्ठ- 459 आदि के अनुसार इस सप्तमी पर सूर्योदय के समय किसी नदी या बहते हुए जल में अपने सर पर आक या मदार के पौधे की सात पत्तियां रखकर स्नान करना चाहिए।
 
 
3. अर्घ्यदान करने के बाद, भक्त घी से भरे मिट्टी के दीपक जलाकर रथ सप्तमी पूजा करते हैं और भगवान सूर्य को धूप, कपूर और लाल रंग के फूल अर्पित करते हैं। इस दौरान भक्तों को भगवान सूर्य के विभिन्न नामों का पाठ करते हुए इस अनुष्ठान को बारह बार करना पड़ता है।
 
4. विभिन्न क्षेत्रों में, महिलाएं समृद्धि और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में अपने घरों के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाती हैं। पवित्र चिन्ह के रूप में रथ (रथ) और भगवान सूर्य के चित्र खींचती हैं। 
 
5. रथ सप्तमी के दिन सूर्यशक्तिम, सूर्य सहस्रनाम, और गायत्री मंत्र का निरंतर जाप करना भाग्यशाली और अत्यधिक शुभ माना जाता है।
 
6. कुछ क्षेत्रों में इस दिन दूध को मिट्टी से बने बर्तन में डाला जाता है और फिर उसे एक दिशा में ऐसी जगह उबलने के लिए रखा जाता है, जहां उस पर सूर्य कि किरणें पड़े। इसे उबालने के बाद, उसी दूध का उपयोग मीठे चावल के सात भोग को तैयार करने के लिए किया जाता है और बाद में इसे देवता सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है।
 
 
5. माना जाता है कि विधि विधान से रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर भगवान सूर्य की पूजा करने से, अनुष्ठान करने वाला अपने अतीत और वर्तमान पापों से छुटकारा पाकर मोक्ष प्राप्त करने की पात्रता हासिल कर लेता है। भगवान सूर्य दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य को प्रदान करते हैं। हेमाद्रि व्रत खण्ड और भविष्यपुराण के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उपवास करना चाहिए, साथ ही कनेर के पुष्पों और लाल चन्दन से सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए।

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