Hanuman Chalisa

21 जनवरी 2021 से शाकंभरी माता की यात्रा प्रारंभ

अनिरुद्ध जोशी
वैसे तो वर्ष भर में चार नवरात्रि मानी गई है, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि, चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली चैत्र नवरात्रि, तृतीय और चतुर्थ नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है। परंतु तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। समापन के दिन मां शाकंभरी जयंती भी मनाई जाएगी। तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की भांति शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है। 
 
इन दिनों साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे। मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं। ये मां ही माता अन्नपूर्णा, वैष्णो देवी, चामुंडा, कांगड़ा वाली, ज्वाला, चिंतपूर्णी, कामाख्या, चंडी, बाला सुंदरी, मनसा और नैना देवी कहलाती है।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी ने यह अवतार तब लिया, जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया। तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी 1,000 आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का बहुत ही दयनीय रूप देखा तो लगातार 9 दिनों तक वे रोती रहीं। रोते समय उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ और चारों ओर हरियाली छा गई। हजारों आंख होने के कारण उन्हें मां शताक्षी भी कहते हैं।
 
जो भक्त इस दिनों गरीबों को अन्न-शाक यानी कच्ची सब्जी, भाजी, फल व जल का दान करता है उसे माता की कृपा प्राप्त होती है और वह पुण्य लाभ कमाता है।

मां शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से मां रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी तथा शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। देश में मां शाकंभरी के तीन शक्तिपीठ हैं। इनमें प्रमुख राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास सकराय माताजी के नाम से स्थित है। दूसरा स्थान शाकंभर के नाम से राजस्थान में ही सांभर जिले के समीप और तीसरा स्थान उप्र में मेरठ के पास सहारनपुर में 40 किलोमीटर दूर है। माताजी का प्रमुख स्थल अरावली पर्वत के मध्य सीकर जिले में सकराय माताजी के नाम से विश्वविख्यात हो चुका है। यह मंदिर एपिग्राफिया इंडिका जैसे प्रसिद्ध संग्रह ग्रंथ में भी दर्ज है। शाकुम्भरी देवी का एक बड़ा मंदिर कर्नाटक के बागलकोट जिले के बादामी में भी स्थित है। समय-समय पर यहां की यात्रा का आयोजन होता है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

November 2025 Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 24-30 नवंबर, इस सप्ताह किन राशियों को मिलेगी बड़ी सफलता, जानें अपना भाग्य

Mulank 5: मूलांक 5 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Lal Kitab Kanya Rashifal 2026: कन्या राशि (Virgo)- राहु करेगा संकट दूर, गुरु करेगा मनोकामना पूर्ण

Shani Margi 2025: 28 नवंबर 2025 को शनि चलेंगे मार्गी चाल, 3 राशियों को कर देंगे मालामाल

Baba Vanga Prediction 2026: बाबा वेंगा की वर्ष 2026 के लिए 5 प्रमुख भविष्यवाणियां

सभी देखें

धर्म संसार

27 November Birthday: आपको 27 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 27 नवंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

Shani margi gochar 2025: शनि का मीन राशि में मार्गी गोचर, 5 राशियों को मिलेगी राहत

Panchak November 2025: नवंबर 2025 में कब से कब तक है पंचक, जानें समय और प्रभाव

बुध ग्रह का वृश्‍चिक राशि में मार्गी गोचर 12 राशियों का राशिफल

अगला लेख