Rakhi bandhne ka shubh muhurt 2025: हिंदू धर्म में कुछ त्योहार दिन में और कुछ को रात में मनाए जाने का प्रचलन और शास्त्र विधान है। जैसे दीपावली का पर्व अमावस्या की रात को ही मनाया जाता है। इसी प्रकार होली, नवरात्रि, महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, दशहरा, कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी रात में मनाते हैं जबकि गणेश चतुर्थी, राम नवमी, हनुमान जयंती और रक्षा बंधन जैसे त्योहार दिन में मनाए जाते हैं।
राखी मनाने का क्या है शास्त्र नियम?
1. रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने का विधान है।
2. रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ रही हो।
3. अपराह्न काल दोपहर के बाद के समय को कहते हैं, जो आमतौर पर दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होता है और शाम तक चलता है।
4. अपराह्न काल में ग्रहण, सूतक, संक्रान्ति, भद्रा और राहु काल सहित सभी अशुभ काल छोड़कर राखी बांध सकते हैं।
5. यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं।
6. यदि अपराह्न का काल शुभ समय से युक्त न हो तो प्रदोषकाल में रक्षा बंधन मनाया जा सकता है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी।
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
1. भद्रा काल: 8 अगस्त को दोपहर 02:12 से प्रारंभ होकर 9 अगस्त को तड़के 01:52 (मध्यरात्रि) पर समाप्त हो होगा।
2. राहु काल: राहुकाल सबह 09:07 से 10:47 तक रहेगा। इस बीच राखी न बांधें।
9 अगस्त 2025 को राखी बांधने का अपराह्न शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर बाद 12:00 से 12:53 तक रहेगा।
विजय मुहूर्त.: दोपहर बाद 02:40 से 03:33 तक रहेगा।
लाभ चौघड़िया: दोपहर बाद 02:06 से 03:46 तक रहेगा।
अमृत चौघड़िया: दोपहर बाद 03:46 से 05:26 तक रहेगा।
9 अगस्त 2025 रहेंगे 5 शुभ योग:
1. सर्वार्थ सिद्धि योग: 8 अगस्त दोपहर 02:28 से 9 अगस्त दोपहर 02:23 तक।
2. सौभाग्य योग: 9 अगस्त प्रात: 04:08 से 10 अगस्त 02:15 AM तक।
3. सुस्थिर योग: तमिल पंचांग अनुसार दोपहर 02:23 से सुस्थिर योग रहेगा। इसके बाद वर्धमान योग रहेगा।
4. नक्षत्र योग: श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का शुभ संयोग है।
5. अभिजीत मुहूर्त योग: दोपहर 12:00 से 12:53 तक रहेगा।