Janki Jayanti पर पढ़ें पवित्र जानकी स्तोत्र, देता है अपार धन-ऐश्वर्य का वरदान

Webdunia
Mata Sita
जानकी स्तोत्र (‍पढ़ें हिन्दी अर्थसहित)
 
जानकी स्तोत्र का पाठ नियमित करने से मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होता है। इसके पाठ से माता सीता प्रसन्न होकर धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति कराती है। 
 
धार्मिक शास्त्रों में मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रभु श्रीराम एवं माता सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है। यहां पढ़ें हिन्दी अर्थसहित पवित्र जानकी स्तोत्र :- 
 
नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम्।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
- नील कमल-दल के सदृश जिनके नेत्र हैं, जिन्हें श्रीराम की भुजा का ही अवलंबन है, जो प्रज्वलित अग्नि में अपनी पवित्रता की परीक्षा देना चाहती हैं, उन रामप्रिया श्रीसीता माता की मैं मन-ही-मन में भावना (ध्यान) करता हूं।
 
रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम्।
ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
- जिनके नेत्र श्रीराम जी के चरणों की ओर निश्चल रूप से लगे हुए हैं, जिन्होंने अपनी अङ्गकान्ति से सुवर्ण को मात कर दिया है तथा ताटका के वैरी श्रीरामजी के (द्वारा दुष्टों के प्रति कहे गए) कटु वचनों से जो घबराई हुई हैं, उन श्रीराम जी की प्रेयसी श्रीसीता मां की मैं मन में भावना करता हूं।
 
कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्त्रग-सुधाकरद्युतिम्।
वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
-  जो लज्जा से हतप्रभ हुईं अपने उस मुख को, जिनके कपोल उनके बिथुरे हुए बालों से उसी प्रकार आवृत हैं, जैसे चन्द्रमा राहु द्वारा ग्रसे जाने पर अंधकार से आवृत हो जाता है, वस्त्र से ढंक रही हैं, उन राम-पत्नी सीताजी का मैं मन में ध्यान करता हूं।
 
कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।
तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
- जो मन-ही-मन यह कहती हुई कि यदि मैंने श्रीरघुनाथ के अतिरिक्त किसी और को अपने शरीर, वाणी अथवा मन में कभी स्थान दिया हो तो हे अग्ने! मेरे शरीर को जला दो अग्नि में प्रवेश कर गईं, उन रामजी की प्राणप्रिय सीता जी का मैं मन में ध्यान करता हूं।
 
इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकै: सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि।
पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घ्रिकां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
- उत्तम विमानों में बैठे हुए इंद्र, रुद्र, कुबेर और वरुण द्वारा पुष्पवृष्टि के अनंतर जिनके चरणों की भली-भांति स्तुति की गई है, उन श्रीराम की प्यारी पत्नी श्रीसीता माता की मैं मन में भावना करता हूं।
 
संचयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम्।
तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
 
- (अग्नि-शुद्धि के समय) विमानों में बैठे हुए देवगण विस्मयाविष्ट चित्त से जिनकी ओर देख रहे थे और जो अपने तेज से दसों दिशाओं को आच्छादित कर रही थीं, उन रामवल्लभा श्रीसीता मां की मैं मन में भावना करता हूं।
 
।।इति जानकी स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।

ALSO READ: जानकी जयंती : कैसे हुई थी माता सीता की मृत्यु

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति

जानिए क्या है एकलिंगजी मंदिर का इतिहास, महाराणा प्रताप के आराध्य देवता हैं श्री एकलिंगजी महाराज

Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त

Yearly Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों का संपूर्ण भविष्‍यफल, जानें एक क्लिक पर

Mesh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मेष राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख