सुख-सौभाग्य और लंबी आयु के लिए करें सूर्य षष्ठी व्रत...

Webdunia
सूर्य षष्ठी पर्व
 
सूर्य षष्ठी पर्व/व्रत भाद्रपद माह की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसमें भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। 


 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि के दिन सूर्य उपासना का विधान दिया गया है। इस दिन उपवास करने का महत्व है। पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है। षष्ठी के दिन सूर्य प्रतिमा की पूजा किया जाना चाहिए। 
 
 
भाद्रपद महीने में सूर्य का नाम 'विवस्वान' है। षष्ठी के दिन भगवान सूर्यदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए तथा एक समय का बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस व्रत को करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और सूर्य आराधना करने वालों को सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से नेत्र रोगियों को भी फायदा होता है। यह व्रत 1 वर्ष तक करना चाहिए। 
 
सूर्य षष्‍ठी के 'ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं ह्रीं मह्यं लक्ष्मीं प्रयच्छ' इस मंत्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण होने के पश्चात सूर्यदेव को तांबे के कलश से अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। अर्घ्य चढ़ाने के जल में रोली, शकर और अक्षत डालने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर सुख-सौभाग्य, आयु, धन-धान्य, यश-विद्या आदि देते हैं।
 
- आरके
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

4 भयंकर योग के चलते 5 राशियों को रहना होगा इस साल संभलकर

बढ़ता ही जा रहा है गर्मी का तांडव, क्या सच होने वाली है विष्णु पुराण की भविष्यवाणी

भविष्यवाणी: ईरान में होगा तख्तापलट, कट्टरपंथी खामेनेई की ताकत का होगा अंत!

ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा कहां से निकलकर कहां तक जाती है?

जब मेहर बाबा ने पहले ही दे दिया था विमान दुर्घटना का संकेत, जानिए क्या था वो चमत्कार?

सभी देखें

धर्म संसार

17 जून 2025 : आपका जन्मदिन

17 जून 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

पुरी में क्यों होती है भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति की पूजा, जानिए ये गूढ़ रहस्य

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में रथ खींचने के क्या है नियम और पुण्यफल

आषाढ़ की अष्टमी पर कैसे करें शीतला माता की पूजा, जानें सही तरीका