वैवस्वत सप्तमी पर करें सूर्यदेव का पूजन, होगी हर मनोकामना पूरी, पढ़ें मंत्र भी

Webdunia
प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को वैवस्वत (विवस्वत, Vaivaswat Saptami) सप्तमी मनाई जाती है। इस बार बुधवार, 6 जुलाई 2022 को वैवस्वत सप्तमी मनाई जा रही है। इस दिन सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु और सूर्य देवता का पूजन करने का विधान है। मान्यतानुसार यह व्रत जीवन की सभी परेशानियां दूर करने वाला माना जाता है। 
 
आषाढ़ शुक्ल सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन सारी परेशानियां दूर होती हैं, जहां भाग्य का साथ मिलने लगता है, वहीं यश, कीर्ति बढ़ती है तथा सेहत संबंधी सारी समस्या दूर होने लगती है।

आइए जानें कैसे करें पूजन, पढ़ें मंत्र- 
 
पूजा विधि-Puja Vidhi  
 
- आषाढ़ शुक्ल सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें। 
 
- अपने माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाएं। 
 
- तत्पश्चात तांबे के कलश में जल भर कर उसमें लाल फूल, रोली, अक्षत और चीनी डालें। 
 
- इसके बाद सूर्यदेव को 'ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य चढ़ाएं। 
 
- शाम को सूर्यास्त से पूर्व एक बार फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। 
 
- शाम को गुड़ का हलवा बना कर सूर्यदेव को अर्पित करें और इसे प्रसाद के रूप में बांटें।
 
- शाम को सूर्यदेव की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं तथा दक्षिणा दें। 
 
- सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अवश्‍य करें। 
 
मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल सप्तमी पर जो मनुष्य वैवस्वत मनु के साथ भगवान सूर्यदेव की उपासना करता हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 
 
मंत्र-surya mantra
 
1. ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
 
2. ॐ आदित्याय नम:
 
3. ॐ सप्तार्चिषे नम:
 
4. ॐ ऋगमंडलाय नम: 
 
5. ॐ सवित्रे नम: 
 
6. ॐ वरुणाय नम: 
 
7. ॐ सप्तसप्त्ये नम: 
 
8. ॐ मार्तण्डाय नम: 
 
9. ॐ विष्णवे नम:
 
10. ॐ सूर्याय नम:
 
11. ॐ घृणि सूर्याय नम:
 
12. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
 
13. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
 
14. ॐ घृणि: सूर्यादित्योम
 
15. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः। 

ALSO READ: 6 जुलाई को वैवस्वत सप्तमी, पढ़ें सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु की पौराणिक कथा

Sun Worship

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख