Dharma Sangrah

Vaikuntha chaturdashi 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्रीहरिहर पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

WD Feature Desk
बुधवार, 13 नवंबर 2024 (14:25 IST)
Vaikuntha Chaturdashi 2024: कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन वैकुण्ठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी की पूजा होती है। विष्णुजी को हरि और शिवजी को हर कहते हैं। शिवपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के शुभ अवसर पर भगवान श्री विष्णु जी वाराणसी गए थे और उन्होंने वहां पर भगवान शिव का पूजन  किया था। 14 नवंबर 2024 को यह पर्व मनाया जाएगा।ALSO READ: वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व, क्यों गए थे श्री विष्णु जी वाराणसी?
 
दो कारणों से होती है श्री हरिहर की पूजा: पहला यह कि श्री विष्णुजी ने शिवजी के पूजन के समय एक सहस्र कमल पुष्प अर्पित करने का संकल्प लिया था परंतु एक अंतिम पुष्प उन्हें नहीं मिलता तो उन्होंने अपना एक नेत्र ही निकालकर अर्पित कर लिए। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान‍ किया। दूसरा कारण यह कि 4 माह की नींद के बाद विष्णु जी जब जागते हैं तो शिवजी सृष्टि पालन और संचालन का भार पुन: ग्रहण करते। इन्हीं कारणो से वैकुण्ठ चतुर्दशी पर शिवजी और विष्णुजी की संयुक्त रूप से पूजा होती है।
 
पूजा का सही समय: 
वैकुण्ठ चतुर्दशी पर, भगवान विष्णु की पूजा निशीथकाल में की जाती है, जो हिन्दु दिन गणना के अनुसार मध्यरात्रि का समय है। वैकुण्ठ चतुर्दशी निशीथ काल समय रात्रि 11:39  से प्रारंभ होकर 12:32 तक रहेगा। 
 
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 14 नवम्बर 2024 को सुबह 09:43 बजे से।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 15 नवम्बर 2024 को सुबह  06:19 बजे तक।
 
वैकुण्ठ चतुर्दशी पर करें शिव एवं विष्णु पूजा विधि: 
 
 
 
 
 
 
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shukra gochar: शुक्र के वृश्‍चिक में मार्गी होने से 4 राशियों पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा! करें मात्र एक उपाय

बुध के मार्गी होने से 3 राशियों को मिलेगी आर्थिक समस्या से मुक्ति

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027, स्नान तिथियां घोषित, जानिए कब से कब तक चलेगा कुंभ मेला

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

Dhanu Rashi 2026: पराक्रम का राहु और अष्टम का गुरु मिलकर करेंगे भविष्य का निर्माण

सभी देखें

धर्म संसार

Lal Kitab vrishchik rashi upay 2026: वृश्चिक राशि के जातकों के लिए लाल किताब के अचूक उपाय, पंचम का शनि देगा झटका

शनि भारी होने पर संकट मोचन हनुमान स्तोत्र पढ़ने से ये होता है...

Karthigai Deepam: कार्तिगाई दीपम क्या है, यह पर्व क्यों मनाते हैं?

Mangal dosha: मंगल दोष वालों को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए?

Guru gochar 2025: बृहस्पति के मिथुन राशि में गोचर से 5 राशियों को रहना होगा संभलकर

अगला लेख