Dharma Sangrah

वीर तेजाजी कौन थे, जानिए उनकी अमर गाथा

अनिरुद्ध जोशी
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की दशमी को वीर तेजाजी महाराज का पर्व मनाया जाता है, जिसे तेजा दशमी कहते हैं। तेजाजी महाराज राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में काफी लोकप्रिय है। नवमी की पूरी रात रातीजगा करने के बाद दूसरे दिन दशमी को जिन-जिन स्थानों पर वीर तेजाजी के मंदिर हैं, मेला लगता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु नारियल चढ़ाने एवं बाबा की प्रसादी ग्रहण करने तेजाजी मंदिर में जाते हैं। आओ जानते हैं कि तेजाजी महाराज कौन थे और क्या है उनकी कथा।
 
कौन थे वीर तेजाजी महाराज : वीर तेजाजी महाराज : (29-1-1074 से 28-8-1103) राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्रसिद्ध सिद्ध पुरुष थे। तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में खरनाल गांव में हुआ। ये राजस्थान के 6 चमत्कारिक सिद्धों में से एक हैं। यह सबसे बड़े गौ रक्षक माने गए हैं। गायों की रक्षा के लिए इन्होंने अपने प्राणों की बलि तक दे दी थी। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। पिता का नाम ताहड़ की जाट, माता का नाम राजकुंवर, पत्नी का नाम पेमलदे, घोड़ी का नाम लीलण था। आज भी उनकी कथा हर गांव में प्रचलित है।
 
तेजाजी महाराज की अमर गाथा : लोकदेवता वीर तेजाजी का जन्म नागौर जिले में खड़नाल गांव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता गांव के मुखिया थे। वे बचपन से ही वीर, साहसी एवं अवतारी पुरुष थे। बचपन में ही उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे। बड़े होने पर राजकुमार तेजा की शादी सुंदर गौरी से हुई।
 
एक बार अपने साथी के साथ तेजा अपनी बहन पेमल को लेने उनकी ससुराल जाते हैं। बहन पेमल की ससुराल जाने पर वीर तेजा को पता चलता है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ पेमल की ससुराल की सारी गायों को लूट ले गया। वीर तेजा अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए जाते हैं। रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नामक नाग (सर्प) घोड़े के सामने आ जाता है एवं तेजा को डसना चाहता है।
 
वीर तेजा उसे रास्ते से हटने के लिए कहते हैं, परंतु भाषक नाग रास्ता नहीं छोड़ता। तब तेजा उसे वचन देते हैं- 'हे भाषक नाग, मैं मेणा डाकू से अपनी बहन की गायें छुड़ा लाने के बाद वापस यहीं आऊंगा, तब मुझे डस लेना, यह तेजा का वचन है।' तेजा के वचन पर विश्वास कर भाषक नाग रास्ता छोड़ देता है।
 
जंगल में डाकू मेणा एवं उसके साथियों के साथ वीर तेजा भयंकर युद्ध कर उन सभी को मार देते हैं। उनका पूरा शरीर घायल हो जाता है। ऐसी अवस्था में अपने साथी के हाथ गायें बहन पेमल के घर भेजकर वचन में बंधे तेजा भाषक नाग की बांबी की ओर जाते हैं।
 
घोड़े पर सवार पूरा शरीर घायल अवस्था में होने पर भी तेजा को आया देखकर भाषक नाग आश्चर्यचकित रह जाता है। वह तेजा से कहता है- 'तुम्हारा तो पूरा शरीर कटा-पिटा है, मैं दंश कहां मारूं?' तब वीर तेजा उसे अपनी जीभ बताकर कहते हैं- 'हे भाषक नाग, मेरी जीभ सुरक्षित है, उस पर डस लो।'
 
वीर तेजा की वचनबद्धता देखकर भाषक नाग उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहता है- 'आज के दिन (भाद्रपद शुक्ल दशमी) से पृथ्वी पर कोई भी प्राणी, जो सर्पदंश से पीड़ित होगा, उसे तुम्हारे नाम की तांती बांधने पर जहर का कोई असर नहीं होगा।' उसके बाद भाषक नाग घोड़े के पैरों पर से ऊपर चढ़कर तेजा की जीभ पर दंश मारता है। उस दिन से तेजादशमी पर्व मनाने की परंपरा जारी है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Baba vanga predictions: क्या है बाबा वेंगा की 'कैश तंगी' वाली भविष्यवाणी, क्या क्रेश होने वाली है अर्थव्यवस्था

मासिक धर्म के चौथे दिन पूजा करना उचित है या नहीं?

Money Remedy: घर के धन में होगी बढ़ोतरी, बना लो धन की पोटली और रख दो तिजोरी में

Margashirsha Month Festival 2025: मार्गशीर्ष माह के व्रत त्योहार, जानें अगहन मास के विशेष पर्वों की जानकारी

Baba Vanga Prediction: बाबा वेंगा की भविष्यवाणी: साल खत्म होते-होते इन 4 राशियों पर बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (13 नवंबर, 2025)

13 November Birthday: आपको 13 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 13 नवंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

Vrishchika Sankranti Remedies: करियर और सौभाग्य के लिए वृश्चिक संक्रांति के 8 श्रेष्ठ उपाय

Kaal Bhairav katha kahani: भैरवाष्टमी पर पढ़ें भगवान कालभैरव की कथा कहानी