हलषष्ठी, ललही छठ कब है? इसे बलराम जयंती क्यों कहते हैं? जानें शुभ मुहूर्त
, बुधवार, 13 अगस्त 2025 (15:45 IST)
Lalhi Chhath 2025: हलषष्ठी का पर्व, जिसे ललही छठ या हलछठ भी कहते हैं, इस साल 14 अगस्त 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन हल से जोते गए अनाज का सेवन वर्जित कहा गया है। वर्ष 2025 में भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि तथा रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस पर्व को रांधण छठ भी कहते हैं।
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यहां जानें भादो के महीने में षष्ठी के दिन पड़ने वाले त्योहार हलषठ, बलराम जयंती तथा ललही छठ के बारे में...
14 अगस्त 2025, गुरुवार : बलराम जयंती के मुहूर्त
बलराम जयंती की तिथि- बृहस्पतिवार, अगस्त 14, 2025 को
भाद्रपद षष्ठी तिथि का प्रारंभ- 14 अगस्त, 2025 को सुबह 04:23 मिनट से,
षष्ठी तिथि की समाप्ति- 15 अगस्त 2025 को सुबह 02:07 मिनट तक।
14 अगस्त का शुभ समय और योग:
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:50 से 05:34 तक।
प्रातः सन्ध्या- सुबह 05:12 से 06:19 तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:17 से 01:09 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:51 से 03:42 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:07 से 07:29 तक।
सायाह्न सन्ध्या- सायं 07:07 से 08:14 तक।
अमृत काल- सुबह 06:50 से 08:20 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन।
निशिथ मुहूर्त- 15 अगस्त रात 12:21 से 01:06 तक तथा रात 12:51 से 02:21 तक।
इसे बलराम जयंती क्यों कहते हैं: हलषष्ठी के दिन को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी (बलदाऊ) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का जन्म इसी तिथि को हुआ था।
• बलराम जी का शस्त्र 'हल': भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र 'हल' (हल) था, जिस कारण उन्हें 'हलधर' भी कहा जाता था। इसी वजह से उनके जन्मोत्सव को हलषष्ठी के नाम से जाना जाता है।
• किसानों के देवता: भगवान बलराम को कृषि का देवता भी माना जाता है। उनके सम्मान में इस दिन हल से जुताई किए गए अनाज या सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता। व्रत रखने वाले लोग तालाब के पास पूजा करते हैं और भैंस के दूध, घी और मखाने का सेवन करते हैं।
• संतान की लंबी आयु: यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से बलराम जी संतान की रक्षा करते हैं।
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