द. अफ्रीका में महका करवा चौथ

अपनी संस्कृति को नहीं भूले द. अफ्रीका के भारतीय

Webdunia
FILE

भारतीयों ने पहली बार 1860 में दक्षिण अफ्रीका की सरजमीं पर पैर रखा था और वे इस देश के क्वाजुलू नटाल प्रांत में गन्ने के खेतों में बतौर मजदूर काम करने के लिए ‘तिरोरो’ नामक जहाज पर सवार होकर यहां आए थे।

अपने कदम रखने के करीब 150 साल बाद भी दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय अपनी सभ्यता और संस्कृति को नहीं भूले हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर में महिलाओं को भारतीयता की पहचान का प्रतीक पोशाक, साड़ी पहने देखा जा सकता है।

इतना ही नहीं पति की दीर्घायु की कामना के लिए उत्तर भारत का लोकप्रिय पर्व करवा चौथ भी पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है।

दक्षिण अफ्रीका में मोहनदास कर्मचंद गांधी के संघर्ष के दिनों से लेकर उनके महात्मा बनने तक की गाथा को ‘पहला गिरमिटिया’ के जरिए पेश करने वाले और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गिरिराज किशोर ने इस देश में भारतीयों की जीवनशैली के बारे में दिलचस्प जानकारी दी।

FILE
उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय महिलाएं आज भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं तथा साड़ी पहन कर और पूरा साज-श्रृंगार कर परंपरागत तरीके से पूजा करती हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में जा बसे भारतीय मूल के लोग हिंदी भाषा को भूलभाल गए हैं लेकिन गुजराती समुदाय के लोग गुजराती जरूर बोलते हैं। गिरिराज ने बताया कि हिंदुस्तानी समुदाय अपनी हिंदी भाषा को भले ही भूल गया हो लेकिन खान-पान में आज भी भारतीयता की खुशबू बरकरार है।

वर्ष 2010 में 12 लाख से अधिक भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने देश में अपने समुदाय की बसाहट की 150वीं वषर्गांठ मनाई थी। दक्षिण अफ्रीका और विशेष कर इसके जोहान्सबर्ग के फोर्डसबर्ग की सड़कों और बाजारों में साड़ी पहने महिलाएं खुद ही अपनी भारतीयता की पहचान कराती हैं। भारतीय भोजन देश भर में लोकप्रिय हैं और भारतीय रेस्त्रां यहां काफी लोकप्रिय हैं, जहां सप्ताहांत में लोगों की अच्छी-खासी भीड़ जुटती है।

यह भी दिलचस्प बात है कि हिंदुस्तान के बाहर दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों की सर्वाधिक आबादी है और इस समुदाय के लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत, भाषा और धार्मिक मान्यताओं को पूरी तरह सहेज कर रखा है फिर चाहे वे भारत से आए ईसाई हों या हिन्दू या मुस्लिम।

उत्तर भारत से ताल्लुक रखने वाले कुछ परिवार हिंदी भी बोलते हैं। दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय समुदाय के लोग मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलते हैं लेकिन तेलुगू, तमिल और गुजराती भाषा को अपनी दूसरी भाषा के रूप में संजोया हुआ है और अधिकतर घरों में यही भाषा बोली जाती है। (भाषा)

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

शमी के वृक्ष की पूजा करने के हैं 7 चमत्कारी फायदे, जानकर चौंक जाएंगे

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास पूर्णिमा का पुराणों में क्या है महत्व, स्नान से मिलते हैं 5 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

सभी देखें

धर्म संसार

शिवजी आज सौंपेंगे भगवान विष्णु को पृथ्वी का भार, होगा हरिहर मिलन, उज्जैन में निकाली जाएगी बाबा महाकाल की सवारी

Dev Deepawali festival: देव दीपावली उत्सव में 3D Laser Show के जरिए दिखाया जाएगा काशी का इतिहास

इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदान्त स्वामी श्रील प्रभुपाद का जीवन परिचय

Aaj Ka Rashifal:14 नवंबर का राशिफल, आज किस पर होंगे ग्रह मेहरबान, पढ़ें 12 राशियां

14 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन