Festival Posters

नाश के कगार पर 'नागराज

नागपंचमी पर विशेष

संदीपसिंह सिसोदिया
शनिवार, 25 जुलाई 2009 (11:28 IST)
विश्व की कई सभ्यताएँ प्राचीनकाल से नागों को पूजती आई हैं। भारत में भी साँपों को आदिकाल से ही पूजनीय माना जाता रहा है, पर यही प्रथा आज इनके नाश का एक कारण बन गई है। भारत में नागों के नाम पर एक विशेष पर्व 'नागपंचमी' मनाया जाता है। इस त्योहार में पूजे जाने वाले नागों की आज इतनी बदतर स्थिति है कि उन्हें खतरे में पड़ी प्रजाति के तौर पर चिह्नित किया गया है।

' सँपेरों के इस देश' में सर्पों की दुर्दशा के कई कारण हैं जिसमें सबसे बड़ा कारण है आम लोगों में सर्पों के बारे में फैली भ्रांतियाँ। प्रकृतिगत स्वभाव से ही मनुष्य साँपों से डरता है और अकसर इसी वजह से खेतों-घरों व रिहायशी इलाके में साँप दिखते ही लोग उसे जहरीला समझकर मार डालते हैं।

ND
FILE
भ्रांति के शिकार: विश्व की अब तक ज्ञात साँपों की 2500 प्रजातियों में से कुल 20 प्रतिशत को ही घातक माना गया है। दरअसल साँपों के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। जैसे हर साँप को जहरीला माना जाता है पर असल में भारत में पाई जाने वाली साँपों की 272 ज्ञात प्रजातियों में से मात्र 58 ही जहरीली हैं, इनमें से भी कुछ प्रजातियों में तो महज इतना ही जहर होता है कि आदमी सिर्फ कुछ घंटों से लेकर दो-तीन दिनों के लिए सिर्फ बीमार भर पड़ता है। इनसान के लिए 'बिग फोर' कही जाने वाली 4 प्रजातियों का दंश ही जानलेवा साबित होता है।

भारत में पाई जाने वाली कुछ ही जातियाँ जैसे करैत, कोबरा, किंग कोबरा, सॉ-सकेल्ड तथा रसैल वाइपर (बिग फोर) ही मनुष्य के लिए घातक सिद्ध होती हैं, पर सभी साँप प्रकृतिवश मनुष्य का सामना करने से बचते हैं, सिर्फ आत्मरक्षा हेतु ही डँसते हैं।

ND
FILE
धर्म बना विनाश: दूसरी वजह है भारत में सँपेरों द्वारा धर्म के नाम पर किया जाने वाला अत्याचार। नाग 'देवता' को बंदी बनाकर घर-घर जाकर बीन बजा, लोगों को नाग देवता के दर्शन लाभ दे, अपना पेट पालने वाले सँपेरे जाने-अनजाने इस प्रजाति के लुप्त होने में सहायक बन रहे हैं। इसके जहर से बचने के लिए अकसर सँपेरे साँपों के डँसने वाले दाँत तोड़ देते हैं जिसके कारण संक्रमण व घावों से साँपों की असमय मौत हो जाती है।

यह बात याद रखनी चाहिए कि कैद में कोई भी साँप एक माह से अधिक जीवित नहीं रहता। सँपेरों द्वारा पकड़े जाने पर अकसर साँप को भूखे रखे जाने (साँप दूध नहीं पीता), डिब्बे/थैले में सही प्रकार से नहीं रखे जाने, दम घुटने से, टूटे हुए दाँतों-जबड़े के घाव में संक्रमण, बाँस की छोटी-छोटी टोकनियों में जबरदस्ती लपेटे जाने से पसलियों के टूटने से तथा कई बार फाँस लगने से उसकी मृत्यु हो सकती है। हालाँकि कानूनन साँप को पकड़ना, जीवित स्थिति अथवा उसकी खाल तथा माँस का उपयोग तथा बिक्री को 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम द्वारा प्रतिबंधित किया गया है।

दवा से होता दर्द : इसके अलावा बहुत से सँपेरे व तथाकथित साँप पकड़ने वाले, साँपों के विष को निकालकर ऐसे संस्थानों को विष की आपूर्ति करते हैं जहाँ साँप के विष की प्रतिरोधी दवाई 'स्नेक एंटीडोट' बनाई जाती है पर दुर्भाग्य से वे विष निकालने में कुशल नहीं होते और इस प्रयास में साँपों के दाँत तोड़ बैठते हैं।

ND
FILE
ध्यान देने वाली बात है कि सर्पविष में भोजन पचाने के लिए जरूरी एंजाइम होते हैं और साँप जब अपने शिकार को काटता है तब विष के प्रभाव से शिकार साँप द्वारा निगले जाने से पहले ही गलना शुरू हो जाता है। किसी भी साँप में असीमित विष नहीं होता, इसलिए साँप अपने जहर का इस्तेमाल सोच-समझकर ही करते हैं।

खत्म होते आवास : कुछ वर्ष पहले तक दक्षिण भारत के जंगलों में किंग कोबरा को बहुत ज्यादा ढूँढना नहीं पड़ता था, पर अब वे जंगल के बहुत ही घने इलाकों में भी बिरले ही दिखाई देते हैं। इनसानों द्वारा जंगलों में अतिक्रमण करने से बहुत से वन्य जीवों के आवास खत्म हो गए हैं जिसमें साँप भी हैं। साथ ही इनसानों द्वारा बनाए गए अनाज भंडारों तथा खेतों में फैले चूहों को खाने साँप आते हैं तब अनचाहे उनका सामना इनसानों से हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप अकसर साँप की मौत होती है।

साँपों की चमकदार खाल ने इसकी मुसीबत और बढ़ा दी है। खाल की तस्करी ने भी इस प्राणी को बहुत नुकसान पहुँचाया है, साँप की खाल से बनने वाले पर्स, टाई, जूते तथा अन्य वस्तुएँ विदेशों में बहुत पसंद की जाती है और भारी कीमत पर बिकती हैं
अवैध शिकार: साँपों की चमकदार खाल ने इसकी मुसीबत और बढ़ा दी है। खाल की तस्करी ने भी इस प्राणी को बहुत नुकसान पहुँचाया है। साँप की खाल से बनने वाले पर्स, टाई, जूते तथा अन्य वस्तुएँ विदेशों में बहुत पसंद की जाती हैं और भारी कीमत पर बिकती हैं। इस विनाशक व्यापार को तुरंत बंद करना चाहिए।

साँप अपनी मृत्युपर्यंत बढ़ते रहते हैं और इसलिए उन्हें लगातार केंचुली बदलना पड़ती है जिससे वे हमेशा और अधिक सुंदर और चमकदार दिखते हैं। इस वजह से लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियाँ हैं।

सर्प अंगों का बढ़ता व्यापार : इसी तरह से वियतनाम तथा उत्तर-पूर्व एशिया के कुछ देशों में स्नेक वॉइन की बड़ी माँग है जिसे बनाने के लिए जीवित साँप को बीच में से चीरकर चावल की शराब से भरी बोतल में रखा जाता है, इसके अलावा साँप के शरीर के अन्य अंग भी विभिन्न प्रकार की मदिरा बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। साँप के जहर में मौजूद प्रोटीन इस शराब में धीरे-धीरे मिलता जाता है। लोगों का मानना है कि यह वाइन पीने से कामोत्तेजना बढ़ती है। अब यह तो पता नहीं कि इसे पीने से किसी की कामोत्तेजना को बढ़ावा मिलता है या नहीं, मगर इससे एक शानदार प्राणी को इस धरती से मिटा देने की प्रवृत्ति को जमकर बढ़ावा मिलता है।

पर्यावरण के मित्र : चूहों व कृंतकों का सफाया करने में साँपों का कोई सानी नहीं है। अनुमानतः एक साँप हर साल 10 से ज्यादा पाउंड चूहे/कृंतक खा सकता है। धान के खेतों में अगर साँप नहीं हो तो चूहे सारी फसल कटाई से पहले ही चट कर जाएँ। जंगल में जमीन पर पड़े बीजों को भी यह कृंतक खूब खाते हैं, इसलिए इनके मुख्य शिकारी, साँपों को पर्यावरणतंत्र में एक बहुत महत्वपूर्ण जगह हासिल है।

नागलोक से स्वर्ग की ओर : दंतकथाओं के अनुसार इन्हें नागलोक का वासी माना जाता रहा है। इनसान के लोभ व प्रकृति के प्रति गैरजिम्मेदाराना रुख के चलते सदियों पहले मिस्र के फैरोह के मुकुटों तथा पिरामिडों की दीवारों पर उकेरे गए नाग से लेकर भारत के मंदिरों की मूर्तियों में पूजे जाने वाले साँप शायद आने वाले दिनों में स्वर्गलोक पहुँच 'सचमुच के देवता' बन जाएँगे जो सिर्फ चित्रों और मूर्तियों में ही दिखाई पड़ेंगे।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

06 November Birthday: आपको 6 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 06 नवंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

वक्री बृहस्पति: 11 नवंबर से अगले 25 दिन इन 5 राशियों के लिए बेहद कठिन रहेंगे

Kaal Bhairav Puja 2025: काल भैरव अष्टमी पर करें इस तरह भगवान की पूजा, सभी संकट होंगे दूर

Kaal Bhairav Jayanti 2025: अष्ट भैरव में से काल भैरव के इस मंत्र से मिलेगा उनका आशीर्वाद