नृसिंहस्तोत्र

Webdunia
ND

सुरासुरशिरोरत्नकान्तिविच्छुरितांघ्रये।
नमस्त्रिभुवनेशाय हरये सिंहरूपिणे॥1॥
शत्रोः प्राणानिलास्तत्र वयं दश जयोऽत्र कः।
इति कोपादिवाताम्राः पान्तु वो नृहरेर्नखाः॥2॥
प्रोज्ज्वलज्वलनज्वालाविकटोरुसटाछटः।
श्वासक्षिप्तकुलक्ष्माभृत्पातु वो नरकेसरी॥3॥
व्याधूतकेसरसटा-विकरालवक्त्रं हस्ताग्रविस्फुरितशंखगदासिचक्रम्‌।
आविष्कृतं सपदि येन नृसिंहरूपं नारायणं तमपि विश्वसृजं नमामि॥4॥
दैत्यास्थिपंजरविदारणलब्धरंध्ररक्ताम्बुनिर्जरसरिद्धनजातपंका।
बालेन्दुकोटिकुटिलाः शुकचंचुभासो रक्षन्तु सिंहवपुषो नखरा हरेर्वः॥।5॥
दिश्यात्सुखं नरह-विर्भुवनैकवीरो यस्याहवे दितिसुतोद्दलनोद्यतस्य।
क्रोधोद्यतं मुखमवेक्षितुमक्षमत्वं जानेऽभवन्निजनखेष्वपि यन्नतास्ते॥6॥

॥ इति नृसिंहस्त्रोत ॥

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

महाशिवरात्रि विशेष : शिव पूजा विधि, जानें 16 चरणों में

Mahashivratri 2025 Date: महाशिवरात्रि कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

महाकुंभ में न जाकर भी कैसे पुण्य कमा रहे हैं अनंत अंबानी, जानिए क्या है पूरी कहानी

Vastu Tips: घर के वास्तु का जीवन पर प्रभाव पड़ता है या नहीं?

Weekly Horoscope: 03 से 09 फरवरी में किन राशियों का होगा भाग्योदय, पढ़ें पहले सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल

सभी देखें

धर्म संसार

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का प्रथम समाधि स्मृति दिवस

2025 में कब है जया (अजा) एकादशी व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और नियम

गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन होगा देवी कमला का पूजन, जानें मां का स्वरूप, महत्व, विधि, लाभ और कथा

कढ़ी पकौड़ी भोज के साथ अखाड़ों का महाकुंभ से प्रस्थान, ध्वजाओं की डोर ढीली करनी शुरू कर दी

महानंदा नवमी कैसे मनाई जाती है? जानें पूजा विधि, महत्व और कथा