rashifal-2026

पति को लंबी उम्र देता हैं वट सावित्री अमावस्या का व्रत

Webdunia
ज्येष्ठ मास के व्रतों में वट अमावस्या का व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है, जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं सभी प्रकार की सुख-समृद्धियों की कामना करती हैं।

इस दिन स्त्रियां व्रत रखकर वट वृक्ष के पास पहुंचकर धूप-दीप नैवेद्य से पूजा करती हैं तथा रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं। साथ ही हाथ जोड़कर वृक्ष की परिक्रमा लेती हैं। जिससे पति के जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं तथा सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र प्राप्त होती है।

FILE


कहा जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है।

महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों तक उपवास रखती हैं।

FILE


त्रयोदशी के दिन वटवृक्ष के पास पहुंचकर अपने अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घ आयु तथा सुख-समृद्धि के लिए संकल्प करना चाहिए। इस प्रकार संकल्प कर यदि तीन दिन उपवास करने की शक्ति न हो तो अमावस्या को उपवास कर प्रतिपदा को पारण करना चाहिए।

अमावस्या को एक बांस की टोकरी में सप्तधान्य के ऊपर ब्रह्मा और ब्रह्मसावित्री तथा दूसरी टोकरी में सत्यवान एवं सावित्री की प्रतिमा स्थापित कर वट के समीप यथाविधि पूजन करना चाहिए। साथ ही यम का भी पूजन करना चाहिए। पूजन के अनन्तर स्त्रियां वट की पूजा करती हैं तथा उसके मूल को जल से सींचती हैं।

वट की परिक्रमा करते समय एक सौ आठ बार या यथाशक्ति कलावा लपेटा जाता है। 'नमो वैवस्वताय' इस मंत्र से वटवृक्ष की प्रदक्षिणा करनी चाहिए। 'अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते। पुत्रान्‌ पौतांश्च सौख्यं च गृहाणार्ध्यं नमोऽस्तु ते।' इस मंत्र से सावित्री को अर्घ्य देना चाहिए।

FILE


इस दिन चने पर रुपया रखकर बायने के रूप में अपनी सास को देकर आशीर्वाद लिया जाता है। सौभाग्य पिटारी और पूजा सामग्री किसी योग्य साधक को दी जाती है।

सिंदूर, दर्पण, मौली, काजल, मेहंदी, चूड़ी, माथे की बिंदी, हिंगुल, साड़ी, स्वर्णाभूषण इत्यादि वस्तुएं एक बांस की टोकरी में रखकर दी जाती हैं। यही सौभाग्य पिटारी के नाम से जानी जाती है।

इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण किया जाता हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों का भी पूजन होता है। कुछ महिलाएं केवल अमावस्या को एक दिन का ही व्रत रखती हैं।

- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोशी


वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Lal Kitab Kanya rashi upay 2026: कन्या राशि के जातकों के लिए लाल किताब के अचूक उपाय, शनि से रहना होगा सतर्क

Horoscope 2026: नया साल आपकी किस्मत कैसे बदलेगा? जानें महत्वपूर्ण मौके, चुनौतियां और उपाय (वार्षिक राशिफल 2026)

Meen Rashi 2026: मीन राशि का राशिफल: शनि और राहु से रहें बचकर, गुरु करेंगे भविष्य तय

बृहस्पति का पुन: मिथुन राशि में होने वाला है गोचर, 12 राशियों की बदल जाएगी किस्मत

Trigrahi yog: वृश्चिक राशि में बना त्रिग्रही योग, 5 राशियों के लिए है बहुत ही शुभ समय

सभी देखें

धर्म संसार

Shri Aurobindo Ghosh: राष्ट्रवादी, दार्शनिक और महर्षि श्री अरबिंदो घोष की पुण्यतिथि

December 2025 Festivals: दिसंबर माह के प्रमुख व्रत और त्योहार, जानें विशेष जानकारी

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (05 दिसंबर, 2025)

05 December Birthday: आपको 5 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

योगी आदित्यनाथ कब बन सकते हैं भारत के प्रधानमंत्री, जानिए लाल किताब ज्योतिष का सटीक विश्लेषण