पवित्र हृदय से सूर्य की आराधना

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छठ पूजा में कोई दिखावा नहीं होता, कोई तड़क-भड़क नहीं होती, पवित्र हृदय से सूर्य देव की आराधना की जाती है। लिहाजा शहर के लाखों पुरबिया परिवारों में आस्था की अंजुरी में समर्पण का अर्घ्य भगवान भास्कर को सौंपने की तैयारी शुरू हो गई है।

चार दिन तक चलने वाली इस पूजा की शुरुआत बुधवार को नहान-खान के साथ हो गई। पुरबिया परिवारों में बुधवार को अरवा चावल, अरहर की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई गई। दाल में घी का तड़का भी लगाया गया। पूरे परिवार ने बतौर प्रसाद यही भोजन किया। व्रती के लिए घर में अलग कमरे तय कर दिए गए हैं। इन कमरों की सफाई कर, इनमें व्रत करने वालों के लिए चटाइयाँ भी बिछा दी गई हैं।

छठ महापर्व करने वाले व्रती ने गुरुवार को दिन भर का उपवास रखा। दिन भर अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया फिर शाम में साठी धान की चावल की खीर गुड़ डालकर बनाई। हवन किया, छठी मैय्या की आराधना के साथ पूरे परिवार रोटी, खीर, केला आदि का प्रसाद ग्रहण किया।

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छठ पूजा का सबसे प्रसिद्ध प्रसाद ठेकुआ भी गुरुवार की रात में अथवा भोर में बनाया जाएगा। गेहूँ के आटे में गुड़ अथवा चीनी तथा घी और सूखे मेवे मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद भी इस महापर्व से गहराई से जुड़ा हुआ है। उसके बाद शुक्रवार को दिन भर अर्घ्य देने की तैयारी होगी।

सारा सामान जुटाकर उसे छोटे-छोटे सूप, डगरा आदि में रखकर बाँस के दउरे में रखा जाएगा और दोपहर बाद परिवार का एक व्यक्ति सिर पर यह दउरा लेकर चलेगा और उसके पीछे-पीछे पूरा परिवार भी छठ घाटों तक पहुँचेगा।

छठ पूजा नदी-तालाब के किनारे ही मनाई जाती है। जानकार बताते हैं कि छठ महापर्व बिहार व पूर्वी उत्तरप्रदेश के खेती-किसानी करने वालों की पूजा है और खेती करने के लिए सूर्य की रोशनी के साथ-साथ पानी की भी आवश्यकता होती है। इस पूजा के बहाने पुरबिया संस्कृति ने नदी और तालाबों की सुरक्षा का भी स्थाई प्रबंध किया। पूजा के बहाने ही सही लोगों को खेती के इस आवश्यक स्रोत को बचाए रखने की चिंता रही है।

वजीराबाद इलाके में वर्षों से छठ पूजा का वृहद आयोजन करते आ रहे पंकज कुमार सिंह ने कहा कि यह आस्था की पूजा है। भगवान सूर्य में गहरी आस्था व समर्पण का भाव ही इसकी विशेषता है। जाहिर तौर पर इसमें कोई दिखावा नहीं होता। कोई तड़क-भड़क नहीं होता। अलबत्ता यह जरूर है कि जिनकी मन्नतें पूरी हो गई हैं वे अवश्य बैंड बाजे के साथ छठ घाटों पर पहुँचेंगे।

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