महाराष्ट्रीयन परिवारों में पोळा पर्व के दिन घरों में खास तौर पर पूरणपोळी (साटोरी) और खीर बनाई जाती है। बैलों को सजा कर उनका पूजन किया जाता है। फिर उन्हें पूरणपोळी और खीर भी खिलाई जाती है।
शहर के प्रमुख स्थानों से उनकी रैली निकाली जाती है। जिन-जिन घरों में बैल होते हैं, वे इस दिन अपने बैलों की जोड़ी को अच्छी तरह सजाकर, संवार कर इस दौड़ में लाते हैं।
इस पूजन के बाद माताएं अपने पुत्रों से पहले अतिथी कौन इस तरह पूछती है और पुत्र अपना नाम माता को बताते हैं, उसके बाद ही पूरणपोली और खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ खंडवा तथा अन्य कई स्थानों पर मनाया जाने वाले इस लोक पर्व का नजारा देखने में बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। मोती-मालाओं तथा रंगबिरंगी फूलों और प्लास्टिक के डिजाइनर फूलों और अन्य आकृतियों से सजी खूबसूरत बैलों की जोड़ी हर इंसान का मन मोह लेती है।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मनाया जाने वाला यह पोळा पर्व कई समाजवासी बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। बैलों की जोड़ी का यह पोळा उत्सव देखते ही बनता है।
- राजश्री कासलीवाल
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