पौराणिक कथाओं के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री तथा कश्यप ऋषि (जिनके नाम से कश्यप गोत्र चला) की पत्नी 'कद्रू' नाग माता के रूप में आदरणीय रही हैं। कद्रू को सुरसा के नाम से भी जाना जाता है।
पहले हनुमानजी और सुरसा ने अपना-अपना शरीर विराट कर लिया था। तब हनुमानजी ने लघु रूप धारण कर सुरसा को संतुष्ट किया था। महाभारत में एक ऋषि आस्तीक का नाम भी सर्प कथा से जुड़ा है।
वैज्ञानिक भी इस तर्क को स्वीकार करते हैं कि कंपन की गूंज से सांप प्रभावित होता है इसलिए संगीत की लय पर सर्प थिरकता है। बृहदारण्यक उपनिषद् में भी नागों का उल्लेख मिलता है।
नागपूजा या सर्पपूजा किसी न किसी रूप में विश्व में सब जगह की जाती है। दक्षिण अफ्रीका में कई जातियों में नाग को कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा समझा जाता है कि कुल की रक्षा का भार सर्पदेव पर है।
शिव की आराधना भी नागपंचमी के पूजन से जुड़ी है। पशुओं के पालनहार होने की वजह से शिव की पूजा पशुपतिनाथ के रूप में भी की जाती है। शिव की आराधना करने वालों को पशुओं के साथ सहृदयता का बर्ताव करना जरूरी है।
आचार्य रजनीश के अनुसार विषपान करने वाला ही मृत्युंजय हो सकता है। इसलिए शिव में सच्चिदानंद का स्वरूप प्रकट है। इसलिए नागपूजा और नागपंचमी विशेष रूप से शिव से और विष्णु से भी जुड़ी है।
सर्पों की माताओं में सुरसा के साथ मनसा माता का भी नाम आता है। भारत के अनेक हिस्सों में मनसा माता के मंदिर बने हुए। जहां इनकी आराधना होती है और नागपंचमी को मेले भी लगते हैं। इन्हें शक्ति के रूप में भी पूजा जाता है। ये 'मनसा मंगल' के नाम से भी विख्यात हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा से सर्पों का क्रोध शांत हो जाता है और कोई जनहानि नहीं होती है।
अनेक स्थानों पर नागमूर्तियों का भी पंचामृत से पूजन किया जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपूजा का अनुष्ठान होता है। पुराणों में जितने भी प्रकार के सर्पों का उल्लेख है, विशेष रूप से वासुकी, तक्षक, मणिभद्र, धृतराष्ट्र, कार्कोटक, धनंजय आदिसर्पों को दूध से स्नान कराया जाता है या इनकी प्रतिमा की पूजा की जाती है।
यदि वर्षभर पूजा न भी हो पाए तो नागपूजन की तिथि के दिन नागों की पूजा करने से सभी दिन पूजन के बराबर फल मिलता है।
कृषि पंडित नागों को खेती के लिए उपयोगी मानते हैं। धर्म सही मायने में तभी फलदायी होता है जबकि उसके प्रति वैज्ञानिक रवैया अपनाया जाए और नागपूजा के साथ नागरक्षा के प्रति भी हम वचनबद्ध रहें।