माघ में करें मंगल-बृहस्पति के व्रत

- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोशी

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मकर संक्रांति से लेकर कुंभ संक्रांति तक पूरा एक महीना माघ माहात्म्य व्रत, पूजा एवं जप तप अनुष्ठानों का कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का फल कई गुना अधिक मिलता है।

माघ महीने में मंगलवार एवं बृहस्पतिवार के व्रतों का विशेष महत्व बताया गया है, जिनके करने से आत्म कल्याण के साथ-साथ लोक कल्याण का भी पुण्य प्राप्त होता है।

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आजकल बृहस्पतिवार की उपासना छोड़कर कुछ लोग इस दिन पीर-फकीरों की मजारों एंव झाड़फूँक तंत्र के नाम पर ठगने वालों के पास भी जाने लगे हैं लेकिन यह सनातन वैदिक उपासना के सिद्धातों के विपरीत कही गई है। वस्तुतः बृहस्पतिवार को मंदिर या आँगन परिसर में केले के पौधे के पास आसन लगाकर भगवान विष्णु एवं देवगुरु बृहस्पति की आराधना करने से वास्तविक सुख शांति मिलती है। शास्त्रों में कहा है अवैदिक एवं अशास्त्रीय उपासना मनुष्य को भटका देती है।

इस महीने सर्व सुख, रक्त विकाराय, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति लिए मंगलवार का व्रत उत्तम है। इस व्रत में गेहूँ और गुड का ही भोजन करना चाहिए। भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना ठीक है। यह व्रत 21 सप्ताह तक करें।

माघ मास में मंगल व्रत करने से अनंत फल मिलते हैं।

मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों को चढ़ाएँ और लाल वस्त्र धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए।

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