जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी प्रदर्शित करते हैं, उसी प्रकार महिलाएं भी बारिश में झूले झूलती हैं, नृत्य करती हैं और खुशियां मनाती हैं।
तीज के बारे में हिन्दू कथा है कि श्रावण में कई सौ सालों बाद शिव से पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। पार्वतीजी के 108वें जन्म में शिवजी उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वतीजी की अपार भक्ति को जानकर उन्हें अपनी पत्नी की तरह स्वीकार किया।
तीज का त्योहार वास्तव में महिलाओं को सच्चा आनंद देता है। इस दिन वे रंगबिरंगे कपड़े, गहनों को पहनकर दुल्हन की तरह तैयार होती हैं। कई नवविवाहित महिलाएं तो इस दिन अपने शादी का जोड़ा बड़े ही चाव से पहनती हैं।
वैसे तीज के मुख्य रंग गुलाबी, लाल और हरा है। तीज पर हाथ-पैरों में मेहंदी भी जरूर लगाई जाती है।
एक समय महत्वपूर्ण परंपरा है वट वृक्ष के पूजन की।
इसकी लटकती शाखों के कारण यह वृक्ष विशेष सौभाग्यशाली माना गया है। औरतें वट वृक्ष पर झूला बांधती हैं और बारिश की फुहारों में भीगते-नाचते गाते हुए तीज मनाती हैं।
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