पेगन धर्म को जानें

Webdunia
WD
- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
दुनिया के जितने भी प्राचीन धर्म हैं उनमें तीन बातें सदा से रही- मूर्ति पूजा, प्रकृति पूजा और बहुदेववाद। वर्तमान में जो भी धर्म हैं उक्त धर्मों में यह तीनों ही बातें किसी न किसी रूप में विद्‍यमान है। बहुत से धर्मानुयायी इन्हें बुराई मानते हैं, लेकिन इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है कि आखिर इसमें बुराई क्या है?

वैदिक धर्म के लोग प्रारंभ में ईश्वर, प्रकृति और बहुत सारे देवी-देवताओं की स्तुति करते थे बाद में जब इस धर्म में पुराणपंथी प्रवृतियों का प्रचलन बढ़ा तो मूर्ति पूजा भी शुरू हो गई। योरप में मूर्ति पूजकों के धर्म को पेगन धर्म कहा जाता था।

पेगन धर्म को मानने वालों को जर्मन के हिथ मूल का माना जाता है, लेकिन यह रोम, अरब और अन्य इलाकों में भी बहुतायत में थे। हालाँकि इसका विस्तार यूरोप में ही ज्यादा था। एक मान्यता अनुसार यह अरब के मुशरिकों के धर्म की तरह था और इसका प्रचार-प्रसार अरब में भी काफी फैल चुका था। यह धर्म ईसाई धर्म के पूर्व अस्तित्व में था।

ईसाई धर्म के प्रचलन के बाद इस धर्म के लोग या तो ईसाई बनते गए या यह अपने क्षेत्र विशेष से पलायन करने को मजबूर हो गए। माना जाता है कि उनके धार्मिक ग्रंथ को जला डाला गया। उन्होंने जो भी कहा, लिखा या भोगा आज वह किसी भी रूप में मौजूद नहीं है। यह इतिहासकारों की खोज का विषय बन गया है।

WD
ईसाईयत से पहले पेगन धर्म के लोगों की ही तादाद ज्यादा थी और वे अग्नि और सूर्य आदि प्राकृतिक तत्वों के मंदिर बनाकर उसमें उनकी मूर्तियाँ स्थापित करते थे जहाँ विधिवत पूजा-पाठ वगैरह होता था।

पेगन धर्म के लोग यह मानते थे कि यह ब्रह्मां ड ईश्‍वर की प्रतिकृ‍ति है इसीलिए वे प्रकृति के सभी तत्वों की आराधना करते थे। चाहे वृक्ष हो, पशु हो, पहाड़, नदी, पक्षी हो, औरत हो, महान मनुष्य हो या निर्जिव वस्तु। वे प्रकृति, मौसम, जीवन और मृत्यु के चक्र को मानकर उनके अनुसार ही जीवन जीते थे।

यह ठीक हिंदुओं के पौराणिक पार्ट की तरह है। यह भी हो सकता है कि यह हिंदू धर्म की एक शाखा रही हो। हालाँकि यह अभी शोध का विषय है।

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Maa lakshmi beej mantra : मां लक्ष्मी का बीज मंत्र कौनसा है, कितनी बार जपना चाहिए?

Mahabharata: भगवान विष्णु के बाद श्रीकृष्‍ण ने भी धरा था मोहिनी का रूप इरावान की पत्नी बनने के लिए

Mahabharat : अर्जुन और दुर्योधन का श्रीकृष्ण एवं बलराम से था अजीब रिश्ता

Ramayan : रामायण काल में कितने जनपद थे, भारत की सीमा कहां से कहां तक थी?

Pradosh vrat : धन समृद्धि के लिए प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र का पाठ