गौरवशाली पर्व : चालिया महोत्सव

कलावा बंधते ही होते हैं व्रत शुरू

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चालिया महोत्सव सिंधी समाज का गौरवशाली पर्व है। माना जाता है कि इन चालीस दिनों तक अखंड ज्योति की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दौरान भगवान झूलेलाल की पूजा जल एवं ज्योति के रूप में की जाती है। यह व्रत कठिन होते हैं। अखंड ज्योति की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सिंधी समुदाय में भगवान झूलेलाल का चालिया महोत्सव इन दिनों धूमधाम से मनाया जा रहा है। नौ दिनों के व्रत (नौरेजा) मंगलवार से भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना के साथ दोबारा शुरू किए। नौरेजा के पहले दिन सिंधी समाज के लोगों ने शाम को मंदिरों में पहुंचकर भक्ति-भाव से अर्चना की। वहीं मंदिरों में देर रात तक भजन-कीर्तनों का आयोजन भी जारी है।

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चालीस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के अंतर्गत झूलेलाल मंदिरों में विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की जा रही है। सिंधी समाज के वे लोग जो चालीस दिनों तक व्रत नहीं रख पाते, उन्होंने शुरू के नौ दिनों के बाद अब आखिरी के नौरेजा व्रत मंगलवार से रखना शुरू कर दिए हैं।

नौरेजा के व्रत शुरू करने वाले भक्तगण मंदिर में पहुंचकर शाम की विशेष पूजा-अर्चना में शामिल होते हैं। जो भक्त नौरेजा के व्रत रखते हैं, वे सभी मंदिर में कलावा बंधवाते हैं और यह व्रत शुरू हो जाते हैं। इन व्रतों के चलते भक्त सादा भोजन, नंगे पैर व तेल, साबुन नहीं लगाते हैं।

सिंधी समाज के लोग जो चालीस दिनों तक व्रत रखकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं, वे सभी लोग सुबह-शाम भगवान की कथा का श्रवण कर रहे हैं। रात की आरती के बाद प्रसादी वितरण की जाती है। इस आरती में महिला-पुरुष, बुजुर्ग व बच्चे भी भारी संख्या में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मंदिर में जल रही अखंड ज्योति की भी विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है।

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