नई दिल्ली। हैदराबाद के बाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव से भी दुष्कर्म पीड़िता को जलाये जाने की घटना सामने आने की पृष्ठभूमि में लोकसभा में शुक्रवार को एक बार फिर बलात्कार के दोषियों को जल्द से जल्द सख्त से सख्त सजा देने के लिए कानून में संशोधन के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष की निगरानी में सांसदों की एक समिति बनाकर विचार करने की मांग उठी।
शून्यकाल में इस विषय पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्नाव में कुछ ही दिन पहले जमानत पर छूटे आरोपियों ने दुष्कर्म पीड़िता को जला दिया और वह अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा कि आरोपी इतनी ताकत कैसे जुटा पाते हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ हैदराबाद में पुलिस ने मुठभेड़ में भागने वाले आरोपियों को मार दिया दूसरी तरफ उप्र में आरोपियों को जमानत मिल जाती है।
चौधरी ने छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी का जिक्र करते हुए कहा कि आज एक तरफ हम राम मंदिर बनाने वाले हैं दूसरे तरफ देश में ‘सीताएं जलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना रहे हैं या ‘अधर्म प्रदेश’ बना रहे हैं।
शिवसेना के अरविंद सावंत ने मांग की कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में सांसदों की एक समिति इस संबंध में कड़ी से कड़ी कार्रवाई पर विचार करे। ऐसे मामले निचली अदालत में नहीं जाकर सीधे उच्चतम न्यायालय में जाने चाहिए और एक महीने के अंदर फैसला होना चाहिए।
भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने हैदराबाद में पुलिस द्वारा मुठभेड़ में भाग रहे आरोपियों को मारे जाने की घटना पर कहा कि अगर कोई पुलिस से भागने की कोशिश करेगा तो पुलिस को हथियार केवल सजाने के लिए नहीं मिले हैं, वह उनका इस्तेमाल करेगी।
उन्होंने कहा कि उन्नाव कांड में एसआईटी का गठन कर दिया गया है, वहीं हैदराबाद मामले में भी कार्रवाई हो रही है। उन्होंने निर्भया कांड का जिक्र करते हुए कहा कि घटना को सात साल हो गये और दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है लेकिन आज भी उन्हें फांसी पर नहीं लटकाया गया है।
लेखी ने आरोप लगाया कि इस मामले में दिल्ली पुलिस तीन साल तक फाइलें दबाकर बैठी रही। उन्होंने इस तरह की घटनाओं को बढ़ा-चढाकर दिखाये जाने से खराब माहौल बनाने की बात कही और यह भी कहा कि 130 करोड़ देशवासियों में 90 प्रतिशत अच्छे हैं और कुछ प्रतिशत ही ऐसी विकृत मानसिकता के लोग होते हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि इस तरह के मामलों को सनसनीखेज बनाये जाने के बजाय संवेदनशीलता से निपटने की जरूरत है।
बसपा के दानिश अली ने पुलिस सुधार की जरूरत बताई। उन्होंने उन्नाव मामले का जिक्र करते हुए कहा कि आरोपियों को जमानत मिलने से लगता है कि पुलिस ने सही से अपना पक्ष नहीं रखा और उसकी इच्छाशक्ति की कमजोरी नजर आती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए और उसी के माध्यम से दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए।
बीजद के अनुभव मोहंती ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह ऐसा ही हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संवेदनशील विषय पर सांप्रदायिक पहलू को जोड़ना अनुचित है।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि निर्भया कांड में दोषियों को सात साल बाद भी फांसी पर नहीं लटकाया गया है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में पुलिस मुठभेड़ में आरोपियों को मारने के वह समर्थक नहीं हैं लेकिन देश में बड़ी संख्या में लोग इससे खुश हैं।
उन्होंने कहा कि देश में कानून का शासन है तो उसके मार्फत कड़ी से कड़ी सजा दोषियों को मिलनी चाहिए। कानून को और कड़ा किया जाए तथा मुकदमा तेजी से चलाया जाए।
जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि समाज में विकृत मानसिकता के लोग रहते हैं और उनके अंदर तब भी खौफ पैदा होगा जब दुष्कर्म के मामलों में जल्द मुकदमा चलाकर जल्द सख्त सजा दी जाए। राजनीति नहीं होनी चाहिए।
अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा कि बलात्कार के दोषियों को व्यवस्था का खौफ ही नहीं है। ऐसे मामलों में दोषियों को जब तक फांसी पर लटकाकर नजीर पेश नहीं की जाएगी तब तक खौफ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र और राज्यों के बीच संवाद होना चाहिए।