हुक्मरानों का हश्र

Webdunia
मंगलवार, 19 अगस्त 2008 (14:41 IST)
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद से ही वहाँ कोई भी हुकूमत लंबे समय तक कायम नहीं रह सकी। पाकिस्तान ज्यादातर सैन्य शासकों के कब्जे में रहा, लेकिन चाहे फौजी शासक हों या लोकतांत्रिक ढंग से चुने हुए प्रधानमंत्री,सभी की हुकूमत का अंत अस्वाभाविक ढंग से हुआ। यही पाकिस्तान का असली इतिहास है।
* 17 अक्टूबर 1951: प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी की एक जनसभा में गोली मारकर हत्या।
* 20 दिसंबर 1972: जनरल याह्या खान ने जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता सौंपी।
* 4 जुलाई 1977: जनरल जिया उल हक ने भुट्टो को गिरफ्तार कर सत्ता हथियाई, मार्शल लॉ लागू किया गया।
* 4 अप्रैल 1979: राजनीतिक हत्या की साजिश रचने के आरोप में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फाँसी।
* 17 अगस्त 1988: बहावलपुर के निकट रहस्यमय विमान दुर्घटना में फौजी शासक जिया उल हक की मौत।
* 16 नवंबर 1988: बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने चुनाव जीतकर सत्ता हासिल की।
* 6 अगस्त 1990: राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने बेनजीर को हटाकर गुलाम मुस्तफा जटाई को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया।
* 6 नवंबर 1990 : नए चुनाव के बाद नवाज शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए।
* 18 अप्रैल 1993 : राष्ट्रपति इसहाक खान ने शरीफ सरकार को बर्खास्त कर दिया।
* 19 अक्टूबर 1993 : चुनाव जीतने के बाद बेनजीर भुट्टो दोबार प्रधानमंत्री बनीं।
* 5 नवंबर 1996: राष्ट्रपति फारुक लेघारी ने बेनजीर भुट्टो को बर्खास्त कर संसद भंग कर दी।
* 17 फरवरी 1997: आम चुनाव में जीतकर नवाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
* 15 अप्रैल 1999: पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और उनके पति आसिफ जरदारी को भ्रष्टाचार के आरोप में 5 साल की कैद।
* 12 अक्टूबर 1999 : जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हथियाई। (नईदुनिया संदर् भ)

Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत