त्रिवेंद्रसिंह रावत : प्रोफाइल

Webdunia
शुक्रवार, 17 मार्च 2017 (18:26 IST)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्रसिंह रावत बेदाग छवि वाले एक तेजतर्रार नेता के रूप में जाने जाते हैं। केवल 19 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले रावत ने 2 साल के भीतर ही संघ के प्रचारक के रूप में कार्य करने का संकल्प लिया और 1985 में वे देहरादून महानगर के प्रचारक बने।
 
 वर्ष 1993 में वे भाजपा के संगठन मंत्री बनाए गए। इसके बाद वर्ष 1997 में उन्हें प्रदेश के संगठन मंत्री पद का दायित्व दिया गया और 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड के निर्माण के समय वे इसी पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पृथक उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान भी उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया जिसके चलते रावत को कई बार जेल भी जाना पड़ा। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के खरासैंण गांव के निवासी रावत ने वर्ष 2002 में उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनावों में देहरादून जिले की डोईवाला सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। प्रदेश में बनी नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दल के तौर पर भाजपा द्वारा किए गए आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों में भी रावत ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई।
 
देहरादून-हरिद्वार और देहरादून-ऋषिकेश के बीच डोईवाला बैरिकेडिंग से गुजरने वाले वाहनों से अवैध चुंगी वसूले जाने का भी रावत ने खुलकर विरोध किया और अपने समर्थकों के साथ वहां धावा बोलते हुए बैरिकैडिंग को उखाड़ फेंका। रावत की इस मुहिम को भारी जनसमर्थन के साथ अपार सराहना भी मिली। रावत की इस मुहिम को उनके वर्ष 2007 में डोईवाला से दोबारा जीतने की एक प्रमुख वजह माना जाता है। रावत ने 14,127 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी।
 
भाजपा के सत्ता में आने के बाद भुवनचन्द्र खंडूरी के नेतृत्व में बनी सरकार में रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, लघु सिंचाई तथा आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा दिया गया। कृषि मंत्रालय में उन्होंने कई सुधार किए जिनमें प्रमुख रूप से कृषि उत्पादन और विपणन (एपीएमसी) कानून बनाया जाना शामिल है।
 
वर्ष 2009 में खंडूरी के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाए गए रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्रिमंडल में भी रावत को कृषि तथा कृषि विपणन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई हालांकि वर्ष 2012 में उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदल लिया और रायपुर से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी उमेश शर्मा काउ के हाथों बहुत कम अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा। इस बार के विधानसभा चुनावों में वे फिर अपने पुराने क्षेत्र डोईवाला लौटे और 24,869 मतों से जीतकर विधायक बने।
 
57 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबियों में शुमार रावत को वर्ष 2013 में भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। उसके बाद उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तरप्रदेश के सहप्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई और इस दौरान उत्तरप्रदेश से रिकॉर्ड 73 सीटें भाजपा के पक्ष में गईं।
 
उनकी कार्यक्षमता से प्रभावित होकर अक्टूबर 2014 में भाजपा अध्यक्ष शाह ने उन्हें झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया और उन्होंने इस पद पर अपनी उपयोगिता साबित करते हुए उसी साल राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को पराजित कर भाजपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई। झारखंड में प्रभारी रहने के दौरान रावत की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से बढ़ी नजदीकियां और झारखंड चुनावों में पार्टी को मिली सफलता उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में अहम साबित हुईं। 
Show comments

Lok Sabha Elections 2024 : मोदी 'सुपरमैन' नहीं, 'महंगाई मैन' : प्रियंका गांधी

हैदर हुए हरि, परवीन बनीं पल्लवी, इंदौर में 7 मुस्लिम लोगों ने अपनाया हिन्दू धर्म

Lok Sabha Election 2024 : TMC नेता अभिषेक बनर्जी BJP को लेकर क्या बोले?

अखिलेश ने BJP पर लगाया संविधान खत्म करने का आरोप, बोले- ये वोट देने का छीन लेंगे अधिकार

महाकाल मंदिर में प्रसाद पैकेट को लेकर विवाद, मामला पहुंचा इंदौर कोर्ट

ED ने AAP विधायक अमानतुल्ला खान को भेजा समन, 29 अप्रैल को पेश होने को कहा

Lok Sabha Elections 2024 : मोदी 'सुपरमैन' नहीं, 'महंगाई मैन' : प्रियंका गांधी

कुख्यात अपराधी रवि काना को अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजा

हैदर हुए हरि, परवीन बनीं पल्लवी, इंदौर में 7 मुस्लिम लोगों ने अपनाया हिन्दू धर्म

मध्यप्रदेश में 24 घंटे में 4 दुर्घटनाओं में 9 लोगों की मौत, 20 से अधिक घायल

अगला लेख