झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। वे देश की पंद्रहवीं राष्ट्रपति हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को हराया है। निजी और राजनीतिक जीवन में तमाम कठिनाइयों और संघर्षों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
जन्म : द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था। वे दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं। मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं।
राजनीतिक सफर : 1997 में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में 2 बार की भाजपा विधायक रह चुकी हैं।
वे नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में थी। वे साल 2000 में पहली बार विधायक बनीं और मंत्री का पदभार संभाला। साल 2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल का भी कार्यभार संभाला। अपने राजनीतिक जीवन में लगातार ऊंचाइयां छूने वाली मुर्मू के लिए व्यक्तिगत जीवन बेहद झंझावातों से भरा रहा है।
उन्होंने भुवनेश्वर स्थित रमादेवी महिला कॉलेज से बीए की पढ़ाई पूरी की। गरीब परिवार में जन्मीं द्रौपदी ने अभावों में खुद को आगे बढ़ाया। ओडिशा विधानसभा ने 2007 में द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए 'नीलकंठ' पुरस्कार से सम्मानित किया। 2016 में मुर्मू ने रांची के कश्यप मेडिकल कॉलेज द्वारा आयोजित किए गए रन ऑफ विज़न प्रोग्राम में अपनी आंखें दान करने की घोषणा भी की थी।
टूटा दुखों का पहाड़ : श्याम चरण मुर्मू और द्रौपदी मुर्मू को तीन संतानें हुईं। इनमें दो बेटे और एक बेटी हुए, लेकिन मुर्मू पर दुखों का पहाड़ टूट चुका है। मुर्मू के पति और दोनों बेटों की मृत्यु हो चुकी है। अभी परिवार में मुर्मू की एक बेटी है। एक बेटे और पति की मृत्यु के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है, लेकिन साल 2009 में दूसरे बेटे की रहस्यमयी मौत मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई थी।