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योगी आदित्‍यनाथ : प्रोफाइल

हमें फॉलो करें योगी आदित्‍यनाथ : प्रोफाइल
उत्तराखंड के एक साधारण गांव में जन्मे अजयसिंह (महंत आदित्यनाथ) अब उत्तर प्रदेश भाजपा का एक बड़ा चेहरा हैं। वे लव जेहाद, तीन तलाक और धर्मांतरण को लेकर दिए बयानों के चलते हमेशा विवादों में रहे हैं। आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर भी हैं। वे एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हिन्दुत्व के मुद्दे पर न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में अलग पहचान बनाई है। भाजपा ने उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर परोक्ष रूप से हिन्दुत्व समर्थकों को संदेश दिया है।
प्रारंभिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ का जन्‍म देवभूमि उत्तराखंड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आंदोलनों से जुड़े रहे। योगी आदित्‍यनाथ को सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार ने व्यथित कर दिया। इसी से प्रेरित होकर उन्‍होंने 22 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यास ग्रहण कर लिया।

उन्‍होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रुढ़ियों पर उन्‍होंने जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक कर गोवंशों का संरक्षण एवं संवर्धन करवाया।

उन्‍होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की। योगी के हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गांव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गए।

योगी की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ वे समय-समय पर अपने विचार को स्तंभ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग : स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं।

राजनीतिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से 5 बार सांसद चुने गए।

उन्‍होंने 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 2009 तथा 2014 में सांसद चुने गए। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्‍होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संपन्‍न कराया।

संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केंद्र सरकार ने उन्‍हें खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।

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