Purnia Lok Sabha Constituency: बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की निर्दलीय उम्मीदवार की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था। सीटों के बंटवारे में यह सीट लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल के खाते में आई थी, लेकिन पप्पू यादव यहां से चुनाव लड़ने का मंसूबा लेकर ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। लेकिन, राजद ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। राजद ने इस सीट से पूर्व मंत्री और जदयू से राजद में आईं रूपौली की विधायक बीमा भारती को टिकट दिया है। एनडीए ने इस सीट पर वर्तमान जदयू सांसद संतोष कुमार कुशवाहा को ही उम्मीदवार बनाया है।
पप्पू यादव की उम्मीदवारी से कांग्रेस और राजद के बीच भी घमासान मचा हुआ है। इससे बीमा भारती की उम्मीदों को बुरी तरह झटका लगा है। ऐसे में मुख्य मुकाबला यादव और संतोष कुशवाहा के बीच ही होता दिखाई दे रहा है। पप्पू कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि बीमा भारती का जिस तरह से राजनीतिक सफर रहा है, उन्हें पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता।
पूर्णिया से 3 बार सांसद रह चुके हैं पप्पू : पप्पू यादव इस सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं। 1991 में पप्पू पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे, जबकि दूसरी बार 1996 में वे सपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते। 1999 में पप्पू एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे। 2004 और 2014 में पप्पू यादव मधेपुरा से भी सांसद रह चुके हैं। 2014 में पप्पू ने जदयू के दिग्गज नेता शरद यादव को हराया था। वर्तमान में इस सीट पर जदयू के संतोष कुशवाहा सांसद हैं, जो कि 2014 में भी चुनाव जीत चुके हैं। 2019 संतोष कुमार ने कांग्रेस के उदय सिंह को 2 लाख 63 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
विधानसभा में एनडीए का दम : यदि पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर पलड़ा एनडीए का ही भारी है। दो सीटों पर यहां जदयू विधायक निर्वाचित हुए, जबकि 3 पर भाजपा के विधायक हैं। छह विधानसभा क्षेत्रों में फैली इस लोकसभा सीट में कस्बा, बनमनखी, रूपौली, धमधाहा, पूर्णिया और कोरहा सीटें शामिल हैं। कोरहा सीट कटिहार जिले में आती हैं। हालांकि रुपौली से जदयू के टिकट पर चुनाव जीतीं बीमा भारती अब राजद में आ गई हैं।
जातीय समीकरण : पूर्णिया लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या 18.90 लाख है। सर्वाधिक 45 फीसदी मतदाता यहां मुस्लिम हैं। मुस्लिमों मतदाताओं की संख्या यहां करीब 7 लाख है, जबकि यादव की संख्या 1.5 लाख के लगभग है। अति पिछड़े मतदाताओं की संख्या यहां 2 लाख है, जबकि दलित आदिवासियों की संख्या यहां 4 लाख है। ब्राह्मणों की संख्या 1 से 1.5 लाख, जबकि राजपूतों वोटरों की संख्या भी लगभग इतनी ही है।
क्या है लोकसभा चुनाव का इतिहास : इस सीट सबसे पहला चुनाव कांग्रेस के फणी गोपाल सेनगुप्ता ने जीता था। 1957, 62 और 67 में भी फणी कांग्रेस के टिकट पर इस सीट सांसद चुने गए। इस सीट पर सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी सेनगुप्ता के नाम पर ही है। 1971 में कांग्रेस के ही मोहम्मद जाहिर चुनाव जीते।
आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का सिलसिला टूट गया और इस सीट से जनता पार्टी के लखन लाल कपूर सांसद निर्वाचित हुए। 1980 और 84 में कांग्रेस की माधुरी सिंह सांसद बनीं। 1989 में जनता दल के तसलीमुद्दीन सांसद निर्वाचित हुए। तीन बार यहां से भाजपा का सांसद निर्वाचित हुआ। 1998 में जयकृष्ण मंडल सांसद बने, जबकि 2004-2009 में उदय सिंह सांसद निर्वाचित हुए।