इन तीन कठिन परीक्षाओं के बाद बनते हैं अघोरी, जान की बाजी लगाने के लिए रहना पड़ता है तैयार

WD Feature Desk
शनिवार, 18 जनवरी 2025 (15:21 IST)
अघोरी साधुओं को हिंदू धर्म में एक रहस्यमयी संप्रदाय के रूप में देखा जाता है। ये साधु श्मशान में रहते हैं और तंत्र साधना करते हैं। अघोरी बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है और इसमें कई कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। यहां तक की अंतिम पड़ाव में जान की बाजी के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। इन परीक्षाओं में खरा उतरने के बाद ही कोई अघोरी बन सकता है। आइए वेबदुनिया हिंदी पर आज आपको बताते हैं अघोरी बनने के लिए किन-किन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है।
 
अघोरी बनने की प्रक्रिया
अघोरी बनने की प्रक्रिया काफी लंबी और कठिन होती है। इसमें तीन मुख्य दीक्षाएं होती हैं:
 
हरित दीक्षा
हरित दीक्षा में शिष्य को गुरु मंत्र दिया जाता है। यह मंत्र शिष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। शिष्य को इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना होता है। गुरु मंत्र के जाप से शिष्य के मन में एकाग्रता बढ़ती है और वह आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करता है।
 
शिरीन दीक्षा
शिरीन दीक्षा में शिष्य को विभिन्न प्रकार के तंत्र साधनाएं सिखाई जाती हैं। शिष्य को श्मशान में रहकर तपस्या करनी होती है। शिष्य को श्मशान में रहकर कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सर्दी, गर्मी, बारिश आदि।

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रंभत दीक्षा
रंभत दीक्षा सबसे कठिन और अंतिम दीक्षा होती है। इस दीक्षा में शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का अधिकार गुरु को सौंपना होता है। गुरु शिष्य को जो भी आदेश देते हैं, शिष्य को बिना किसी प्रश्न के उसका पालन करना होता है। यह दीक्षा इसलिए दी जाती है कि शिष्य पूरी तरह से गुरु पर विश्वास कर सके और अपने अहंकार को त्याग सके।

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इस तरह अघोरी बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को इन तीन कठिन परीक्षाओं से गुजरना होता है । इन परीक्षाओं में सफल होने के बाद ही अघोरी बनना संभव होता है। अघोरियों की दुनिया बहुत ही रहस्यमयी और गुप्त होती है। जनमानस में उन्हें जानने की जिज्ञासा हमेशा बनी रहती है।
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