Naga Sadhu Eligibility Requirements: नागा साधु, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनका जीवन त्याग, तपस्या और आध्यात्मिकता से जुड़ा होता है। ये एक रहस्यमई जीवन जीते हैं और संसार से दूरी बनाकर रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोई इंसान कैसे नागा साधु बनता है और एक नागा साधु बनने के लिए कितनी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है? असल में ये प्रक्रिया बहुत लम्बी और कड़ी होती है। आइए वेबदुनिया हिंदी पर आज आपको बताते हैं कौन होते हैं नागा साधु और इनके बनने की पूरी प्रक्रिया।
नागा साधु कौन होते हैं?
नागा शब्द संस्कृत के नग से बना है। नग मतलब पहाड़। यानी पहाड़ों या गुफाओं में रहने वाले नागा कहलाते हैं। 9वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने दशनामी संप्रदाय की शुरुआत की थी। ज्यादातर नागा संन्यासी इसी संप्रदाय से आते हैं। इन संन्यासियों को दीक्षा देते वक्त दस नामों से जोड़ा जाता है। इसलिए नागा साधुओं को दशनामी भी कहा जाता है।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया
नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी लंबी और कठिन होती है। इसे मुख्य रूप से तीन चरणों में बांटा जा सकता है:
-
परीक्षा का समय:
-
जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है, उसे पहले अखाड़े में आवेदन देना होता है।
-
अखाड़े वाले उम्मीदवार के घर जाकर उसकी पड़ताल करते हैं।
-
उम्मीदवार को एक गुरु चुनना होता है और अखाड़े में रहकर सेवा करनी होती है।
-
इस दौरान उम्मीदवार को काम वासना, नींद और भूख पर काबू करना सीखना होता है।
-
महापुरुष बनना:
-
परख अवधि पूरी करने के बाद उम्मीदवार को 'महापुरुष' घोषित किया जाता है।
-
उसे पंच संस्कार दिए जाते हैं और गुरु अपनी प्रेम कटारी से शिष्य की शिखा काटते हैं।
-
अवधूत और दिगंबर बनना:
-
महापुरुष को अवधूत बनाने के लिए सुबह चार बजे उठाया जाता है।
-
उसे नदी में स्नान कराया जाता है और 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं।
-
उसे 17 पिंड दान करने होते हैं, जिनमें से 16 अपने पूर्वजों के और 17वां पिंडदान खुद का होता है।
-
दिगंबर बनने के लिए एक और कठिन संस्कार किया जाता है, जिसमें जननांग की एक नस खींची जाती है।
ALSO READ: कुंभ मेले के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधु? जानिए कैसी होती है नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया
नागा साधु बनने की चुनौतियाँ
-
तपस्या और त्याग: नागा साधुओं को संसार के सभी सुखों का त्याग करना होता है।
-
कठोर नियम: नागा साधुओं को कई कठोर नियमों का पालन करना होता है।
-
शारीरिक और मानसिक कष्ट: नागा साधु बनने की प्रक्रिया में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कष्ट सहने पड़ते हैं।
नागा साधु बनना एक साधारण बात नहीं है। यह एक लंबी और कठिन यात्रा है। जो व्यक्ति इस यात्रा को पूरा करता है, उसे ही हिन्दू धर्म के अनुसार नागा साधू माना जाता है ।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।