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...तो कुंभ मेले में आइए !

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हमें फॉलो करें Poem on Kumbh Mela 2025
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डॉ. रामकृष्ण सिंगी

, बुधवार, 15 जनवरी 2025 (16:15 IST)
देखना हो सन्यासियों के फक्कड़ शिव-शंकरी श्रृंगार।
बैठकर भोजन प्रसादी पाने भक्तों की अन्तहीन कतार।।
खिलाकर खुश होते खुले मन के दान दाता बेशुमार।
अनंत आस्था से स्नान करने वालों पर मां गंगा का दुलार।।
...तो कुंभ मेले में आइए !
परंपरागत अखाड़ों की राजसी पेशवाइयां।
विशाल धार्मिक मंचों से निरंतर प्रवचनों की धूम।
करोड़ों के जनसमूह का समागम, आस्थामय स्नान,
चमत्कृत विदेशी जिज्ञासु पर्यटक देखते सब घूम-घूम।।
...तो कुंभ मेले में आइए !
व्यवस्थाओं, सेवाओं के बनते गिनीज़ बुक रिकार्ड,
धरती पर स्वर्ग उतार लाने की लगी होड़।
देश भर से आये श्रद्धालुओं के लिए बनी श्रेष्ठ व्यवस्थाएं,
सुरक्षा, चिकित्सा, यातायात, सूचना-सुविधाएं, सभी कुछ बेजोड़।।
...तो कुंभ मेले में आइए !
 
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