Top 10 Qualities of Rahul Gandhi : 10 बातें जो राहुल ने अपने आप में सुधारी हैं

WD Feature Desk
भारत जोड़ो यात्रा, राहुल, कांग्रेस इन तीन शब्दों ने आजकल कांग्रेस के विरोधियों की नींद हराम की हुई है। वास्तव में राजनीति और युद्ध में आप किसी को कमतर मानकर बेफिक्र नहीं हो सकते हैं। भाजपा को यही सबक लेना है। राहुल ने शानदार ढंग से कमबैक किया है। आइए जानते हैं राहुल की वे 10 बातें जो विरोधियों को भी सोचने पर मजबूर कर रही हैं। 
1. आवाज : अगर आपने राहुल के पुराने वीडियो और अब के वीडियो को ध्यान से देखा है तो आप एक बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि राहुल ने अपनी आवाज को बहुत सुधारा है। पुराने वीडियो में जहां वे व्यग्रता से बोलते नजर आते हैं, लगभग चीखते हुए वहीं इन दिनों आ रहे वीडियो में वे संयमित, संतुलित और आवाज के सधाव के साथ बोलते दिखाई दे रहे हैं। राहुल का अपनी आवाज पर काम करना ही उनके लिए बड़ा प्लस प्वॉंइट बनकर उभरा है। पहले जो उन्हें सुन नहीं पाते थे अब वे उन्हें सुनने में दिलचस्पी ले रहे हैं। 
2. सुनने का धैर्य : राहुल के व्यक्तित्व में यह एक बड़ा परिवर्तन जो देखा जा रहा है। वे ना सिर्फ लोगों को शांति से सुन रहे हैं बल्कि अपनी पार्टी के बड़े सदस्यों की बात भी मान रहे हैं। इंदौर की प्रेस मीट में वे जयराम रमेश की टोकाटोकी को बड़े पॉजिटीव अंदाज में ले रहे हैं।   

3. चेहरे की मुस्कान : युवाओं में पैठ बनाने के लिए यह परिवर्तन कमाल की संजीवनी सबित हो रहा है। न सिर्फ राहुल के लिए बल्कि पूरी कांग्रेस के लिए। पिछले वीडियो की तुलना में अब वे हर बात शुरु करने से पहले मुस्कुराते हैं और फिर समझकर धीरे-धीरे जवाब देते हैं।   

4. अनुभवों से सीख : राहुल के व्यक्तित्व में जो गंभीरता, सहजता, धीरता और शालीनता दिखाई दे रही है वह उनकी यात्रा से जन्मे अनुभव हैं या फिर सही सलाह। पहली बार राहुल को किसी ने सही और सटीक सलाह दी है और सुखद आश्चर्य कि राहुल ने उसे माना और अमल में लाए हैं। अब राहुल रटी रटाई चीजों को नहीं बोल रहे हैं बल्कि उनकी अपनी समझ विकसित दिखाई दे रही है। यहां तक कि देश के बड़े मुद्दों पर भी वे सिर्फ सुनी सुनाई बात नहीं कर रहे हैं बल्कि यात्रा में हुए अनुभवों को याद कर के अपनी बात समझदारी से कह रहे हैं। 
5 .आम जन से जुड़ाव : जो लोग ना भाजपा के हैं ना कांग्रेस के, वे पहले राहुल से सिर्फ इस बात से नाराज थे कि उन्हें आम जनता के बीच जाने से परहेज क्यों है? अब जबकि राहुल जन जन के बीच जा रहे हैं तो कौतुहूलवश ही सही लोग उनसे जुड़ रहे हैं। उन्हें जानना, छूना और समझना चाह रहे हैं। मीडिया में बनी छवि से अलग जब वे राहुल को देख रहे हैं तो उन्हें आश्चर्य हो रहा है। इस तरह राहुल ने उनके बारे में प्रचलित धारणा भी तोड़ी है। 
6. फिटनेस : जो लोग भारत जोड़ो यात्रा के सहभागी हैं उनसे बातचीत के आधार पर यह निष्कर्ष सामने आ रहा है कि राहुल बहुत तेजी से चलते हैं। ऊर्जा से भरपूर हैं। पूरे रास्ते उनका एनर्जी लेवल एक सा बना रहता है। चलते हुए भी उनके स्वर या सांस के आरोह अवरोह में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता है। 


 7. गांधी होने के गुरुर से दूर : यह एक अच्छा बदलाव है राहुल में। उन्होंने एक जवाब में कहा भी कि राहुल गांधी को मैं पीछे छोड़ आया हूं और कई लोगों को उनके इस वाक्य में भीतर तक छुआ है। राहुल आम जन में जिस सहजता से घुलमिल रहे हैं, यह बात कई लोगों को राजीव जी की याद दिला रही है।  
8. राजनीतिक दक्षता का विकास : राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में लोग यह अनुभव कर रहे हैं कि अब राहुल जानते हैं कि कब, कहां, कितना और क्या बोलना है। विवादित बोल पर भी तुरंत वे डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं। 
9.अनुशासन : पूरी यात्रा को जिस ढंग से डिजाइन किया गया है उसमें राहुल के समय की पाबंदी के पालन की बात और हर दिन तयशुदा किलोमीटर चलने की प्रतिबद्धता लोगों को आकर्षित कर रही है। 
10. हर उम्र और वर्ग के अनुसार व्यवहार : बच्चों में बच्चे बन जाना, युवा साथियों का कसकर हाथ थाम लेना, बुजुर्गों को गले लगाना...किसानों के साथ बैठना, गुनगुनाना, थिरकना यह सब उनकी पिछली छवि को तोड़ने में सहायक हो रहे हैं।   

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