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झोटवाड़ा में त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे कर्नल राज्यवर्धन राठौड़

हमें फॉलो करें Rajyawardhan Singh
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वृजेन्द्रसिंह झाला

Colonel Rajyavardhan Singh Rathore: पिछले विधानसभा चुनाव में हारी हुई सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी अपने सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है। इसी के मद्देनजर जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में आने वाली झोटवाड़ा सीट पर भगवा पार्टी ने पूर्व ओलंपियन और वर्तमान सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है। केन्द्र में मंत्री रहे राठौड़ की मौजूदगी से इस सीट पर पूरे देश की नजर है। 
 
2018 में इस सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि कांग्रेस ने भी वर्तमान विधायक लालचंद कटारिया के स्थान पर युवा छात्र नेता अभिषेक चौधरी को टिकट दिया है। कटारिया गहलोत कैबिनेट के भी सदस्य हैं और कृषि और पशुपालन मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे हैं। बताया जा रहा है कि कटारिया ने स्वयं चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई। 
 
लालचंद कटारिया ने पिछले चुनाव में भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को 43 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। ऐसे में राठौड़ के सामने इस अंतर को पाटना भी बड़ी चुनौती होगी। हालांकि इस बार कटारिया मैदान में नहीं है। कांग्रेस ने एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। चौधरी गहलोत सरकार की स्वास्थ्य योजना और 7 गारंटियों के साथ चुनाव मैदान में हैं। 
 
कर्नल राठौड़ के लिए यह राहत की बात हो सकती है कि झोटवाड़ा सीट उनके संसदीय क्षेत्र जयपुर ग्रामीण के अंतर्गत ही आती है। ऐसे में उनका मतदाताओं से पुराना संपर्क है। हालांकि राज्य में भाजपा मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में ढाई लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का भी वादा किया है। 
 
सूरपुरा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया : झोटवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी राठौड़ के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। भाजपा से टिकट के दावेदार रहे आशू सिंह सूरपुरा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। हालांकि राठौड़ के लिए राहत की बात यह है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे के दखल के बाद पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत अब उनके समर्थन में आ गए हैं।
 
2008 में अस्तित्व में आई झोटवाड़ा सीट से पहली बार राजपाल सिंह शेखावत ही विधायक बने थे। तब उन्होंने लालचंद कटारिया को करीब 2500 मतों से हराया था, जबकि 2013 में उन्होंने डॉ. रेखा कटारिया को 19 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस जीत के बाद राजपाल मंत्री भी बने थे।
 
आशु सिंह सूरपुरा इस बार भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर वे बागी हो गए। इस क्षेत्र में राजपूत वोटरों की संख्या काफी है। ऐसे में सूरपुरा राज्यवर्धन के वोटों में सेंध लगा सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में सूरपुरा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप 18 हजार से ज्यादा वो‍ट हासिल कर चौथे स्थान पर रहे थे। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कोरोना काल में लोगों के बीच रहकर काफी काम किया है।   
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झोटवाड़ा क्षेत्र के निवासी धर्मवीर सिंह जाखल कहते हैं कि आशू सिंह की मौजूदगी राज्यवर्धन को ही फायदा पहुंचाएगी। वे अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हैं कि आशू ग्रामीण इलाकों में जिन लोगों के बीच समाजसेवा का काम करते हैं, वे परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोटर हैं। ऐसे में वे कांग्रेस के वोट ज्यादा काटेंगे। राजपाल शेखावत के मामले में जाखल कहते हैं कि राजपाल सिंह क्षेत्र में लोगों से मिलते-जुलते नहीं हैं साथ ही लोगों के काम भी नहीं करते। उनके मुकाबले लालचंद कटारिया ने क्षेत्र में ज्यादा काम करवाए। यदि शेखावत को टिकट मिलता तो यह सीट निश्चित रूप से कांग्रेस के पक्ष में चली जाती। 
 
धर्मवीर सिंह कहते हैं कि चूंकि झोटवाड़ा सीट जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के तहत ही आती है इसलिए यह राज्यवर्धन के लिए प्लस पॉइंट रहेगा। इतना ही नहीं लालचंद कटारिया समर्थक कालवाड़ के सरपंच अपने पंचायत सदस्यों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। इसका भी राठौड़ का फायदा मिलेगा। 
 
भले ही राज्यवर्धन की क्षेत्र में स्थिति मजबूत बताई जा रही हो, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि उन्हें कांग्रे प्रत्याशी अभिषेक चौधरी के साथ ही भाजपा के बागी आशु सिंह सूरपुरा की चुनौती से भी जूझना पड़ेगा। राजस्थान की 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा।

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