टोंक विधानसभा सीट पर कितने ताकतवर कांग्रेस के सचिन पायलट?

Webdunia
गुरुवार, 23 नवंबर 2023 (15:46 IST)
Tonk Assembly Seat: राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिए कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में उनके कद तथा यहां प्रभावशाली समुदायों में उनकी गहरी पैठ के भरोसे जीत की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर भाजपा का दांव हिंदुत्व की आवाज को मुखरता से उठाने और 'स्थानीय बनाम बाहरी' पर है। जातिगत समीकरण पायलट के पक्ष में ही दिखाई दे रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार अजीत सिंह को भी कम नहीं आंका जा सकता है। वे संघ की पृष्ठभूमि से हैं। 
 
स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा : टोंक से भाजपा के उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता 'स्थानीय बनाम बाहरी' का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहे हैं और उनका दावा है कि पायलट को इस बार 'मुख्यमंत्री पद का चेहरा होने का लाभ' नहीं मिलेगा, जो उन्हें 2018 में मिला था। मेहता का कहना है कि वह टोंक निवासी हैं, जो लोगों की समस्याओं को जानते हैं।
 
उनका कहना है कि पायलट एक 'बाहरी व्यक्ति' हैं जिन्होंने पिछली बार ‘मुख्यमंत्री पद का चेहरा’ होने का लाभ उठाते हुए बड़ी जीत हासिल की थी। कांग्रेस के कार्यकाल में उनके मुख्यमंत्री नहीं बनने या इस बार उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किए जाने से पायलट के समर्पित मतदाता बेफिक्र दिख रहे हैं।
 
यहां मुख्य बाजार में दर्जी का काम करने वाले मोहम्मद रिजवान अली कहते हैं, पायलट आज नहीं तो कल या परसों मुख्यमंत्री बनेंगे। वह भविष्य हैं। इस चुनाव में लोग टोंक की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वह एक राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह एक अच्छे व्यक्ति हैं।
 
भाजपा ने गुर्जर नेता बिधूड़ी को सौंपी जिम्मेदारी : मेहता और भाजपा जानते हैं कि पायलट के साथ एकजुट दिख रहे मुस्लिम-गुर्जर वोट बैंक में सेंध लगाना मुश्किल होगा और ऐसे में वह (विरोधी दल) गुर्जरों के अलावा हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि भाजपा ने पार्टी सांसद और गुर्जर नेता रमेश बिधूड़ी को टोंक में चुनाव की जिम्मेदारी दी है। बिधूड़ी ने हाल में कहा था कि राजस्थान और टोंक के चुनावों पर लाहौर की नजर है।
 
दूसरी ओर, पायलट ने अच्छे अंतर के साथ इस सीट से फिर निर्वाचित होने का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वह पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेंगे। पायलट ने 2018 के चुनाव में भाजपा के बड़े नेता यूनुस खान को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 
 
पायलट ने विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि पिछले चुनाव में टोंक की जनता ने मुझे बहुत आशीर्वाद और समर्थन दिया है। इन 5 वर्षों में हम वह विकास करने में सफल रहे जो इस क्षेत्र में नहीं हुआ था। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेगी।
 
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जो काम किया है, उससे पता चलता है कि हम सभी को एक साथ लेकर चलने में और बिना किसी पक्षपात के विकास कर सके हैं। इसलिए बहुत सारे ग्रामीण बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, युवा लोगों का भविष्य, हम उन क्षेत्रों में लेकर आने में सक्षम हुए।
 
क्या है भाजपा समर्थकों का तर्क : भाजपा समर्थकों और मतदाताओं का तर्क है कि पिछली बार उन्होंने भी पार्टी उम्मीदवार खान का समर्थन नहीं किया था, लेकिन इस बार चूंकि एक स्थानीय व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है, वे उसका समर्थन करेंगे। अजीत सिंह ने 2013 का चुनाव 30 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। टोंक में मुसलमानों और गुर्जरों की एक बड़ी आबादी है और मुस्लिम आबादी के एक वर्ग ने पायलट से सीधे संपर्क नहीं कर पाने के कारण अपनी निराशा व्यक्त की थी।
 
कांग्रेस के कई मुस्लिम बागियों ने पायलट के खिलाफ अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में वापस ले लिया। अली ने बताया कि हमारे समुदाय को कुछ चिंताएं थीं लेकिन पायलट साहब हमारे बुजुर्गों के पास पहुंचे और सभी शंकाओं को दूर कर दिया। अब हर कोई दृढ़ता से उनके पीछे है। बाजार के एक अन्य दुकानदार अलीमुद्दीन ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों में पायलट सीधे सभी तक पहुंचे हैं और कुछ वर्गों के मन में जो भी शंकाएं थीं, उन्हें दूर किया गया है। 
 
बसपा उम्मीदवार का समर्थन : आगामी विधानसभा चुनाव में टोंक सीट पर बसपा के उम्मीदवार अशोक बैरवा ने भी पायलट को समर्थन दिया है। बैरवा ने कहा कि वह पायलट के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी उम्मीदवारी वापस लेना चाहते थे, लेकिन नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन समय की कमी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके।
 
शहर के इस बाजार में स्थित एक चाय की दुकान पर चुनावी परिदृश्य पर चर्चा करते हुए संजय दीक्षित नाम के स्थानीय निवासी कहते हैं कि पिछली बार बात अलग थी, इस बार एक स्थानीय उम्मीदवार है और भाजपा समर्थक उसका समर्थन कर रहे हैं। उनसे संपर्क करना आसान है, जबकि पायलट साहब तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ता है।
 
पेशे से चिकित्सक कैलाश भागवानी का कहना है कि चुनावी तस्वीर साफ नहीं है। पायलट साहब से अब कड़ी मेहनत कराई जा रही है। वह जीत सकते हैं लेकिन कम अंतर से।
 
क्या कहता है इस सीट का इतिहास : पार्टी के इतिहास पर नजर डालें तो टोंक सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी है। यहां से 6 बार भाजपा (1 बार जनता पार्टी) ने जीत हासिल की थी, जबकि 4 बार यहां से कांग्रेस चुनाव जीत चुकी है। हालांकि वर्तमान जातिगत समीकरण सचिन पायलट के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं। टोंक विधानसभा में कुल मतदाता 2 लाख 51 हजार 878 हैं, जिसमें पुरुष वोटर एक लाख 29 हजार हैं और महिलाओं की संख्या एक लाख 22 हजार 871 है।
 
यहां के जातिगत समीकरण पायलट के पक्ष में ज्यादा दिखाई देते हैं। गुर्जर मतदाताओं की संख्या 45 हजार के लगभग है, जबकि मुस्लिम वोट 70 हजार के आसपास हैं। दलित वोटरों की संख्या इस सीट पर 80 हजार है। (भाषा/वेबदुनिया)

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