राजस्थान में 23 नवंबर को एक चरण में मतदान होगा। चुनाव आयोग की ओर से तारीखों के एलान के साथ भाजपा ने राजस्थान के लिए 41 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की पहली सूची में 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। पूर्व मंत्री और जयपुर ग्रामीण से भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ और राजसमंद जिले से लोकसभा सांसद दीया कुमार दो बड़े चेहरे है जिन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया है। इसके साथ ही सांसद किरोड़ी लाल मीणा, बाबा बालकनाथ, देवी सिंह पटेल, नरेंद्र कुमार और भगीरथ चौधरी को भी चुनावी मैदान में उतारा गया है।
राजस्थान भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम नहीं होने से भाजपा के अंदरखाने की राजनीति गर्मा गई है। विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे सिंधिया की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे है। विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले राजस्थान में भाजपा की ओर से निकाली गई परिवर्तन यात्रा से वसुंधरा राजे सिंधिया की दूरी चर्चा के केंद्र में थी, वहीं परिवर्तन यात्रा के समापन पर जयपुर में पीएम मोदी की बड़ी जनसभा में वसुंधरा राजे सिंधिया के मंच से नहीं बोलना सियासी गलियारों में खासा चर्चा के केंद्र में है।
पीएम मोदी के कार्यक्रम में गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर सीपी जोशी तक सूबे के सभी बड़े नेताओं ने अपनी बात रखी लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया को बोलने का मौका नहीं मिला। वहीं पिछले दिनों जयपुर में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में शामिल होने आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अकेले में वसुंधरा राजे सिंधिया से 40 मिनट बात काफी चर्चा के केंद्र में रही।
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद पार्टी ने वसुंधरा को किनारे कर दिया गया था लेकिन वसुंधरा ने हार नहीं मानी वह लगातार अपनी जमीन को मजबूत करती गई। वहीं चुनाव से ठीक पहले वसुंधरा राजे सिंधिया लगातार भाजपा आलाकमान पर दबाव बनाकर खुद को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की मांग कर ही थी। वहीं टिकट बंटवारे में वह अपनी बड़ी भूमिका चाहती थी। इसके ठीक उलट भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की उसमें वसुंधरा को नहीं उतारने के साथ वसुंधरा राजे सिंधिया के खेमे के विधायक नरपत सिंह राजवी और राजपाल सिंह शेखावत का टिकट काट दिया है। पहली सूची में वसुंधरा खेमे के विधायकों को नजरअंदाज किया गया। ऐसे में अब वसुंधरा राजे सिंधिया को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है।
दरअसल राजस्थान में चुनाव से पहले भाजपा के बड़े नेताओं के बीच आपसी टकराव को देखते हुए भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। राजस्थान भाजपा के अंदर में मचे इसी घमासन को देखते हुए चुनावी साल में भाजपा ने सतीश पुनिया को हटाकर सीपी जोशी को राजस्थान की कमान सौपी है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सतीश पुनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे सिंधिया के बीच सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं थी। इतना ही नहीं वसुंधरा राजे सिंधिया, सतीश पुनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच छत्तीस का आंकड़ा और समन्वय की कमी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।