वसुंधरा के वजीरों की साँस फूली

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- कपिल भट्ट, जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुनावी राह चाहे आसान नजर आ रही हो लेकिन उनके ज्यादातर वजीरों की चुनावी अखाड़े में सांस फूल रही है। इनमें सरकार के ट्रबल शूटर कहे जाने वाले वजनदार मंत्रियों से लेकर महारानी की कृपा पर पांच साल गुजारने वाले संसदीय सचिव तक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस बार फिर से अपने वर्तमान चुनाव क्षेत्र झालरापाटन से चुनाव मैदान मे हैं। उनके सामने कांग्रेस ने पिछली बार स्व. राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट को खडा किया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने एक पूर्व विधायक मोहन लाल राठौड को चुनसव मैदान में उतारा है। हालाँकि वे एक बार विधायक रह चुके हैं लेकिन राजे के सामने उनका कद कहीं टिक नही पा रहा। वे तेली जाति से हैं जिसका यहा कोई खास जातिगत आधार नही है, वहीं वसुंधरा के मुकाबले उनकी राजनीतिक हैसियत बहुत कमजोर है। हालांकि झालरापाटन में महारानी को गुर्जरों के विरोध का सामना करना पड रहा है।

भाजपा की निवर्तमान सरकार में मुख्यमंत्री के साथ तीस मंत्री थे। जिनमें से दो कैबीनेट मंत्रियों सहित पांच वजीरों के टिकट काट दिए गए। बाकी बचे 25 में से वसुंधरा राजे के अलावा इक्का दुक्का मंत्री ही आराम में नजर आ रहे हैं। शेष सभी मंत्री चुनावी अखाडे में हांफते दिख रहे हैं। इनमे ऐसे मंत्री भी हैं जो कि अपनी संभावित हार के डर से अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर नई सीट पर चुनाव लड रहे हैं। ऐसे ही एक कददावर मंत्री हैं नरपत सिंह राजवी।

राजवी अपनी चित्तौड़गढ़ की सीट को छोडकर जयपुर की विद्याधरनगर सीट पर चुनाव लड रहे हैं। यहां राजवी को कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रम सिंह से कडी टक्कर मिल रही है। राजवी की हालत का आंकलन इसी बात से किया जा सकता है कि अभी तक राजनीति से दूर रहने वाले उनके श्वसुर पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत भी उनके प्रचार में खुले में आ गए हैं।

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