आपो रौ एक ही सिस्टम, वोट परदै री ओट...

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बीकानेर। शहर में राजनीतिक गर्मी अपने परवान पर है। इस चुनावी गर्मी का असर मौसम पर भी पड़ गया लगता है, तभी तो अचानक स्वेटर फिर उतर गए और पंखे भी चलने लगे।

गर्मी आखिर बढ़े भी क्यों नहीं। बड़े-बड़े नेता अपनी-अपनी पार्टियों को जिताने के लिए बीकानेर में एक के बाद एक तूफानी दौरे जो कर रहे हैं।

पहले राहुल आए, वसुंधरा आईं, गुलाम नबी आजाद आए। शनिवार को 'फूल' वालों ने अपना सबसे बड़ा पत्ता फेंका। जी हां, नरेन्द्र भाई मोदी भी आ गए। अब हमारे पार्टी की नई खबर ये है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन भी बीकानेर में सभा करेंगे।

आप कहेंगे कि इतनी सभाएं हो गईं, अब इसकी क्या जरूरत है? हम आपको बताते हैं कि माइनॉरिटी के वोटों पर हर कोई 'हाथ' साफ करना चाहता है। गुलाम नबी आजाद अल्पसंख्यक भाइयों के वोटों को कांग्रेस के पक्ष में करने आए थे तो अब शाहनवाज उन्हीं वोटों को बीजेपी की तरफ मोडऩे आ रहे हैं।

इधर हमारा पाटा भी बड़ा मस्तमौला है। हर किसी को सलाह दे डालता है। पूर्व और पश्चिम के दो प्रत्याशी पिछली बार अच्छे मतों से जीत चुके हैं, इसलिए इन चुनावों में भी उनका आत्म विश्वास कुछ ज्यादा ही बढ़ा हुआ है। वे हर जगह रिकॉर्ड मतों से अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।

हमारा पाटा कहता है कि 'वहम’ का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था। वैसे अपने काम के प्रति भरोसा रखना बुरी बात नहीं है लेकिन भरोसा कहीं वहम न बन जाए, ये ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

जब वहम की बात ही चल पड़ी है तो कुछ और लोगों को भी हमारी पाटा कमेटी ने मुफ्त सलाह दे डाली कि एक दिसंबर तक अपने-अपने वहम का इजहार न ही करें तो अच्छा है क्योंकि आठ दिसंबर को सबके वहम निकल जाएंगे।

अगले पन्ने पर, फलों की टोकरी का क्या होगा....


नोखा में डूडू जी को वहम है कि वे इस बार बाजी मार ले जाएंगे, लेकिन उनको पता नहीं है कि दो निर्दलीय एक अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं।

लूणकरणसर में गृह राज्यमंत्री जी को अपनी जीत का वहम है तो किसी जमाने में समाजवादी रहे सुराना जी पूरे वहम.... माफ कीजिए आत्मविश्वास के साथ ताल ठोंक रहे हैं। अब उन्हें हमारा पाटा कैसे समझाए कि अगर जाट मतदाता एक हो गए तो आपकी फलों की टोकरी का क्या होगा।

खाजूवाला में डॉक्टर साहब अपने पिछले विधायक काल को देखकर कुछ ज्यादा ही भरोसे में हैं। उनको पता नहीं है कि इन दिनों जिले की राजनीति में 'गोविन्द जय जय - गोपाल जय जय' का कीर्तन चल रहा है। अब कोलायत का क्या कहें, यहां तो अच्छे अच्छों के वहम निकल चुके हैं। अबकी बार किसका निकलेगा राम जाने!

हम तो साफ-साफ कहते हैं कि आज का मतदाता बहुत चतुर हो गया है। वो रैली में नारे किसी के लगाता है और बूथ में बटन किसी और पर दबाता है। हमारे पाटे के धूड़ा महाराज कहते है कि 'हूं तो सगळो ने वोट देवण रौ हंकारौ भर दूं।

हाथ आळौ मिलै जणे बी ने राजी कर दूं अर फूल आळौ मिलै जणे बी ने। आपो रौ तो एक ही सिस्टम है के वोट, परदै री ओट' इसलिए भइया, अपना तो यही कहना है कि चाहे कुत्ता पालो, बिल्ली पालो मगर राजनीति में कभी वहम मत पालो। कवि करमठोक ने बिल्कुल ठीक लिखा है 'मतदाता मूरख नहीं, कर लेता पहचान, नहीं बताता ये कभी, किसे किया मतदान।' (पाटा कमेटी वाया कनक मीडिया)
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