रूट चार्ट के साथ शादी में जाना होता है तय : अधिकांश प्रत्याशियों के अगले तीन-चार दिन के दौरे तय हैं। सुबह चुनाव कार्यालय से निकलने के पहले इनके अनुसार रूट चार्ट तय होता है। इसी समय तारीख विशेष के सारे निमंत्रण पत्र लेकर उसी के मुताबिक रूट बना लेते हैं। इस तरह रास्ते के सावे दिन में साधकर प्रत्याशी हाजिरी जरूर दर्ज करवा लेते हैं।
प्रत्याशियों के लिए यह सबसे बड़ी उलझन है लोक-लाज और आचार संहिता। दोनों के बीच असमंजस। शादी में जाकर नेग-चार की परंपरा निभाना जरूरी है। लिफाफे या गिफ्ट देते कोई मोबाइल में कैद करके आचार संहिता वालों तक क्लिप तो पहुंचा ही सकता है।
अव्वल तो वोट-प्रचार की बात तक मुंह से निकल जाए तब भी परेशानी की आशंका। उपहार नहीं दें या हल्का दें तो बुलाने वाले की शान के खिलाफ। अधिकांश प्रत्याशी स्वयं शादी समारोहों में जाने की कोशिश करते हैं। कुछ ने परिजनों को यह जिम्मा सौंप रखा है। बेहद जरूरी होने पर ही वे वहां जा पा रहे हैं।