कैने जिता रैया हो भईजी...

-मुकेश बिवाल

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बीकानेर। बीती रात को भी दो बजे तक पाटे पर चुनावी घमासान मचा हुआ था। गरमा-गरम बहस थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। कोई कल्लाजी के काम गिनवा रहा था तो कोई गोपालजी के गीत गा रहा था।
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ये नजारा केवल एक पाटे का ही नहीं बल्कि हर पाटे के साथ ही पूरे शहर में पान की दुकानों और हर उस जगह का है जहां चार लोग एकत्रित होते हैं। पूरा शहर उठते-बैठते, सोते-जागते केवल राजनीति की ही बात कर रहा है। दो व्यक्ति जब आपस में मिलते हैं तो 'राम-राम, दुआ-सलाम' की जगह बात यहीं से शुरू होती है कि 'कैने जिता रैया हो भईजी' सामने वाला तुरंत साइकिल हाथ में लिए हुए ही 'चुनाव विश्लेषक' बन जाता है और कहता है 'गोपाळ जी निकलसी।'

उसकी बात तुरंत काट दी जाती है 'नईं ओ, अबके कल्लाजी रौ ही जोर है।' यह चर्चा आगे बढ़ती बढ़ती थोड़ी देर में ही गरमा-गरम नोकझोंक में बदल जाती है। अंतत: पास खड़े लोगों को बीच बचाव करके बहस बंद करवानी पड़ती है।

इधर पाटों पर अभी तक नरेन्द्र मोदी की मीटिंग चर्चा का विषय बनी हुई है। भीड़ को लेकर अलग दावे किए जा रहे हैं। एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने बीजेपी समर्थक धूड़ा महाराज के सामने कहा कि 'आठ-दस हजार मिनख हा मोदी री मीटिंग में' धूड़ा महाराज तुनक कर बोले - 'नईं रे, इत्ता कोनी हा, च्यारेक हजार ही हुवैला.... डोफा, ठा नई हुवै तो नईं बोलणो। मिनख साठ हजार सूं बेसी भेळा हुया मोदीजी री सभा में.....।'

हर जगह लगी हुई इस चुनावी चौपाल में डॉ. बीडी कल्ला की रैली भी छाई रही। कुछ लोगों ने कहा कि कल्ला की ये रैली मोदी की मीटिंग का जवाब थी तो कुछ ने कहा कि रैली में आदमी कम और गाडिय़ां ज्यादा थीं। कुल मिलाकर शहर की चर्चाओं ने साले-बहनोई के इस मुकाबले को बहुत अधिक रोचक बना दिया है।

डॉ. कल्ला तो मौका मिलते ही रंगोलाई के महादेव को प्रसन्न करने पहुंच जाते हैं। इधर चुनाव के दिनों में डॉ. गोपाल जोशी भी तो कुछ ज्यादा ही आस्थावान हो जाते हैं। बीकानेर के पूर्व और पश्चिम के चार प्रमुख उम्मीदवारों का राजनीतिक भी कम दिलचस्प नहीं है। पश्चिम के भाजपा प्रत्याशी डॉ. जोशी 40 साल से भी अधिक समय तक कांग्रेसी रहे तो पूर्व के कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल गहलोत आरम्भ से लेकर यह टिकट मिलने तक भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे।

पाटे ने तो बेबाकी से कह डाला कि पश्चिम में दो कांग्रेसी आपस में भिड़ रहे हैं तो पूर्व में दो भाजपाई मैदान में हैं। अब पाटे को कौन रोक सकता है, पाटा तो जो देखेगा वही बोलेगा। पश्चिम में इस बार गायक-गीतकार नवदीप बीकानेरी भी अपनी वायलिन बजा रहे हैं। लोग कहते हैं कि पेंटरसाब मान लियौ के थे कलाकार हो पण राजनीति में थां सूं बड़ा-बड़ा कलाकार बैठा है।

नवदीप मुस्कराकर आगे बढ़ जाते हैं तो अगली चर्चा चल जाती है जमींदारा पार्टी की। पहली बार राजस्थान के चुनावों में ताल ठोक रही इस पार्टी की पूर्व क्षेत्र की प्रत्याशी यासमीन कोहरी अपने चुनाव प्रचार में जमीन आसमान एक कर रही हैं तो इधर पश्चिम प्रत्याशी राजकुमार गुप्ता कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। अन्त में कवि करमठोक की बात याद आ रही है- जीतेगा तो एक ही, सारे जीत न पाय। लेकिन अपनी ओर से, कर लो सभी उपाय।

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