बेगू व निम्बाहेडा में दिग्गजों का भविष्य दांव पर

Webdunia
गुरुवार, 28 नवंबर 2013 (08:58 IST)
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चित्तौड़गढ़। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में चित्तौड़गढ़ जिले की बेंगू और निम्बाहेडा चर्चित सीटें बनी हुई हैं। जहां कांग्रेस प्रत्याशी संसदीय सचिव राजेंद्र सिंह बिधूड़ी और यौन शोषण कांड में फंसे उदयलाल आंजना के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे के खासमखास पूर्व सांसद श्रीचंद कृपलानी का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है।

जिले की बेंगू सीट पर पार्टी पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के घोर विरोध के बावजूद कांग्रेस ने मौजूदा विधायक बिधूड़ी को पुन: टिकट दिया है जिसके विरोध में यहां से कांग्रेस के पूर्व विधायक और रावतभाटा के प्रधान तथा बेंगू नगरपालिकाध्यक्ष सहित संपूर्ण कांग्रेस ने पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध कांग्रेस के ही जीतेंद्र सिंह उर्फ जीतू बन्ना को निर्दलीय पर्चा भरवा बिधूड़ी के सामने जीत का संकट उत्पन्न कर दिया है।

बिधूडी यहां अपने स्वजातीय गुर्जर समाज के करीब पच्चीस हजार एवं चालीस हजार पर परंपरागत अनुसूचित जाति के मतों के दम पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं तो जीतू समर्थक कांग्रेस के अन्य मतों को अपने पक्ष में बता बिधूडी की हार का दावा कर रहें हैं।

इन दोनों के बीच भाजपा ने युवा सुरेश धाकड़ को पैंतीस हजार स्वजातीय मतों व अन्य परंपरागत मतों के सहारे मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस के बागी के कारण धाकड़ की राह आसान मानी जा रही है। यहां पर रावतभाटा नगर पालिकाध्यक्ष राज्य की एक मात्र किन्नर प्रत्याशी ममता किन्नर भी मैदान में हैं और दोनों पार्टियों के मतों में प्रभावी सेंध लगा रही हैं।

इसी तरह जिले की निम्बाहेडा सीट पर कांग्रेस ने यौन शोषण एवं अवैध रुप से गर्भपात करवाने के मामले में फंसे मौजूदा विधायक उदयलाल आंजना पर दांव लगाया है जिनका सीधा मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार दो बार पूर्व सांसद और दो बार इसी सीट से विधायक व जिला प्रमुख रह चुके श्रीचंद कृपलानी से है।

यहां दोनों ही उम्मीदवारों का जातिगत आधार नहीं है लेकिन क्षेत्र के मतदाता पिछले दो दशकों से दोनों को अच्छी तरह से जानते हैं व जनप्रतिनिधि के रुप में इनकी कार्यशैली भी देख चुके है। वहीं यौन शोषण कांड यहां कोई मुद्दा नहीं होने से भी परंपरागत मत दोनों को मिलने की उम्मीद है।

यहां नेशनल पीपुल्स पार्टी के मक्खनलाल मीणा आदिवासी मतों में सेंध लगा दोनों को परेशान कर रहे हैं। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय का मत है। यहां से अगर कृपलानी हारते हैं तो संसदीय चुनावों में यह उनकी लगातार तीसरी हार होगी जिससे उनका राजनीतिक भविष्य समाप्त हो सकता है। (वार्ता)

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