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वसुंधरा राजे ने जब भी निकाली यात्रा, तब बनीं मुख्यमंत्री..

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, शनिवार, 6 अक्टूबर 2018 (13:39 IST)
जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में अपनी गौरव यात्रा से पहले चुनाव के समय दो यात्राएं निकालीं और दोनों बार वे राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।


पांच बार सांसद रहीं श्रीमती राजे ने राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रहते वर्ष 2003 में परिवर्तन यात्रा निकाली थी और यात्रा की शुरुआत 26 अप्रैल 2003 को उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में चारभुजा मंदिर से की थी। यात्रा का शुभारंभ तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने किया था।

उस दौरान श्रीमती राजे प्रदेश में करीब तेरह हजार किलोमीटर की यात्रा कर सभी जिलों की लगभग हर विधानसभा क्षेत्र से गुजरीं और कई विधानसभा क्षेत्रों में अपनी जनसभाएं कीं। इसके बाद हुए चुनाव में भाजपा को 120 सीटें हासिल हुईं और वह प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बनीं।

इसके बाद वर्ष 2008 में कांग्रेस के फिर सत्ता में आने के बाद वर्ष 2013 में श्रीमती राजे ने एक बार फिर पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष रहते सुराज संकल्प यात्रा निकाली। चार अप्रैल 2013 को शुरु की गई इस यात्रा का शुभारंभ चारभुजा मंदिर से तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने किया था।

श्रीमती राजे की सुराज संकल्प यात्रा 21 जुलाई 2013 तक चली और इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला और उसने राज्य में विधानसभा की कुल दो सौ सीटों में 163 पर जीत हासिल कर दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं।

इस बार उन्‍होंने विधानसभा चुनाव 2018 के समय मुख्यमंत्री रहते राजस्थान गौरव यात्रा निकाली है। यह यात्रा भी चारभुजा मंदिर से ही शुरु की। इसका शुभारंभ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था।

श्रीमती राजे की गौरव यात्रा प्रदेश की सवा सौ से अधिक विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी और इस दौरान नब्बे से अधिक जनसभाएं की गईं। इस दौरान वे चार हजार से अधिक किलोमीटर की यात्रा तय कर 29 जिलों में 126 विधानसभाओं से गुजरीं और 91 जनसभाएं कीं। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों एवं अन्य उपलब्धियों को गिनाया गया। गौरव यात्रा का समापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अजमेर में किया।

श्रीमती राजे ने इससे पहले की गई दोनों यात्राएं विपक्ष में रहते की थीं और इस बार वे खुद सत्ता में हैं। अब इसका आगामी चुनाव में क्या असर होता है, यह चुनाव परिणामों में देखने को मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि श्रीमती राजे वर्ष 1989 से 2003 तक नौवीं से तेरहवीं लोकसभा तक लगातार पांच बार सांसद रहीं और उन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री भी बनाया गया। वे राजस्थान में 1985 में धौलपुर से आठवीं विधानसभा के लिए विधायक चुनी गईं। इसके बाद वर्ष 2003 में 12वीं, वर्ष 2008 में 13वीं तथा वर्ष 2013 में 14वीं विधानसभा के लिए झालावाड़ जिले के झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुईं और इस दौरान राज्य में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। (वार्ता)

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