वो बचपन के दिन

Webdunia
ग ायत्री शर्मा
WDWD
वो बचपन की यादें
वो आध‍ी-अधूरी मुलाकातें
आज अनायास ही छा जाती हैं
मेरे स्मृति पटल पर ।

वो बचपन के दिन भी थे
बड़े सुहाने।
दीदी मुझे याद है
आज भी वो गुजरे जमाने।

पापा की वो तीखी
डॉट-फटकार
और माँ की आँखों से
छलकता वो प्यार।

हमारा वो
गिल्ली-डंडे और
गुड्डे-गुडियों
का खेल।

दीदी, हमने भी तो बनाई थी
कभी दोस्तों की एक रेल।
तुम बनती थी रेल का डिब्बा
और मैं बन जाता था इंजन ।

एक अटूट प्रेम और विश्वास से
बँधा था हमारा वो बंधन।
देखते ही देखते वक्त गुजरता गया,
हम यहीं रह गए और हमारा बचपन
चंद लम्हों में बीत गया।
अब तो बस शेष हैं कुछ यादें।

Show comments

क्या आपकी प्लेट में है फाइबर की कमी? अपनाइए ये 10 हेल्दी आदतें

क्या बार-बार गरम ड्रिंक्स पीने से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा? जानिए सच

आ रही है श्रीगणेश चतुर्थी, अभी से अपने मोबाइल में सेव कर लें ये खूबसूरत शुभकामना संदेश

क्या व्यायाम से हार्ट ब्लॉकेज को रोका या हटाया जा सकता है?

श्रीगणेश के भोग में बनाएं नारियल के लड्डू, इस सरल रीति से

जिम लवर्स का फेवरेट क्रिएटिन क्या है? जानिए इससे मिलने वाले अनोखे फायदे

कौन हैं राधिकाराजे गायकवाड़, फोर्ब्स ने कहा 'भारत की सबसे खूबसूरत महारानी', दुनिया के सबसे बड़े महल में है निवास

शुगर लेवल बैलेंस करने वाले 5 आयुर्वेदिक फूड्स, रोजाना करें डाइट में शामिल

जैन पर्व रोटतीज व्रत में क्या क्या बनाते हैं, जानें खास जानकारी

गणेश उत्सव के लिए घर की सजावट कैसे करें? जानें डेकोरेशन थीम और सुझाव