रक्षा बंधन पर विधिवत राखी बांधने की संपूर्ण विधि

WD Feature Desk
गुरुवार, 31 जुलाई 2025 (14:54 IST)
Raksha bandhan 2025 : श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भाई बहन का त्योहार रक्षा बंधन मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 09 अगस्त 2025 शनिवार को मनाया जाएगा। भाई बहन के इस त्योहार पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को उपहार देता है। आओ जानते है रक्षा बंधन पर विधिवत राखी बांधने की संपूर्ण विधि।
 
 
रक्षा बंधन पर विधिवत राखी बांधने की संपूर्ण विधि
  1. रक्षा बंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं।
  2. पूजा के बाद भाई और बहन के बैठने के लिए एक पाट रखते हैं। 
  3. इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। 
  4. इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं।
  5. फिर भाई को पूर्व दिशा में मुख करके पाट पर बैठाती हैं। फिर सिर पर टोपी या रुमाल रखती है।
  6. पूजा की थाली में कुंकु, चावल, मिठाई, नारियल, राखी आदि रखकर दीप जलाती है।
  7. फिर भाई के हाथों में नारियल और सवा रुपया रखकर इसके बाद कुंकु, हल्दी और अक्षत से तिलक लगाती हैं।
  8. शुभ मुहूर्त में तिलक लगाने के बाद दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती है। 
  9. इसके बाद मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। 
  10. बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है।
 
राखी बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है:-
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

किस पेड़ के नीचे से गुजरने के बाद कावड़िये नहीं चढ़ा सकते शिवलिंग पर जल, जानिए नियम

मंगल का कन्या राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल, किसके लिए शुभ और किसके लिए अशुभ

क्यों बजाते है शिवलिंग के सामने 3 बार ताली, जानिए हर ताली के पीछे का अर्थ

जीवन में ये घटनाएं देती हैं कालसर्प दोष के संकेत, जानिए कारण और अचूक उपाय

भगवान शिव के परिवार से हुई है सभी धर्मों की उत्पत्ति, कैसे जानिए

सभी देखें

धर्म संसार

चतुर्थ सावन सोमवार पर बन रहे हैं शुभ योग, क्या करें और क्या नहीं करें?

रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मंत्र और ऐतिहासिक महत्व

रक्षा बंधन का त्योहार कैसे हुआ प्रारंभ, किसने बांधी सबसे पहले राखी?

Amarnath Yatra : बालटाल के रास्ते फिर शुरू हुई अमरनाथ यात्रा, पहलगाम मार्ग से अब भी निलंबित

गोस्वामी तुलसीदास के 10 प्रेरक विचार

अगला लेख