भाई को बांधें 5 पवित्र चीजों से बनी वैदिक राखी....

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रक्षाबंधन हमारे सनातन धर्म का सबसे विशेष त्योहार है। भाई की मंगलकामना के लिए बरसों से यह पर्व वैदिक रीति से मनाया जाता रहा है। समय के साथ इसमें बदलाव आए हैं लेकिन वैदिक रीति का अपना खास महत्व है। इस पर्व को वैदिक रीति से किस तरह से मनाना चाहिए आइए जानते हैं। रक्षाबंधन पर्व की वैदिक विधि में सबसे अहम भूमिका रक्षा सूत्र यानी राखी की है।  

 
वैदिक रक्षासूत्र बनाने की विधि इस प्रकार है: 
 
वैदिक रक्षासूत्र बनाने के लिए 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है -
1  दूर्वा (घास)
2  अक्षत (चावल)
3  केसर
4  चंदन
5 सरसों के दाने 
 
इन पांचों वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या फिर सिलाई करने के बाद उसे कलावा में पिरो दें। इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी। बाजार की खूबसूरत राखी के साथ यह राखी घर में ही अपने हाथों से बना कर भाई को अवश्य बांधें।। प्राचीन भारत में इसी राखी का उपयोग होता था - 
 
 
यह 5 वस्तुएं ही क्यों, जानिए महत्व  -

1 दूर्वा - दूर्वा के पीछे धारणा यह है कि जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर लगाने पर वह तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में वृद्धि करता है, उसी प्रकार मेरे भाई के वंश और सदगुणों में भी वृद्धि होती रहे और उसका सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ती जाए।

 
दूर्वा गणेश जी को प्रिय है। इसका राखी में प्रयोग करने का अर्थ यह भी है, कि हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में किसी तरह के विघ्न न आए।

2  अक्षत - हमारी रिश्तों के प्रति श्रद्धा सदा अक्षत रहे। लंबी उम्र और यशस्वी जीवन की कामना भी इन्हीं अक्षत में छुपी है। 


3  केसर - केसर की प्रकृति तेज होती है। हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में धर्म की तेजस्विता कभी कम न हो। 

4 चंदन - चंदन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुंदर सुगंध देता है। उसी प्रकार भाई के जीवन में शीतलता बनी रहे और कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।


5 सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है, इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। सरसो के दाने भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से भाई को बचाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। 

इस प्रकार इन 5 वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान पर अर्पित करना चाहिए।
 
इसके बाद बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके यह राखी बांधे। इस प्रकार इन 5 वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधा जाता है। हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सुखी रहते हैं।
 
भाई को राखी बांधते समय बहन को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए  –
 
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ।। 
 
रक्षासूत्र बांधने के पश्चात शुद्ध मिष्ठान्न या गुड़ से मुंह मीठा अवश्य करना चाहिए।
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