रक्षा बंधन : भगवानों ने भी निभाया था राखी का रक्षा वचन

अनिरुद्ध जोशी
रक्षा बंधन का पर्व बहुत ही प्राचीन पर्व है। वक्त के साथ इस त्योहार को मनाने के तरीके बदले हैं तो राखियां भी बदलती गई है। पहले मात्र एक सूत्र बंधन होता था जो धागे का होता था फिर नाड़े का हुआ और फुंदे बना और अंतत: कई प्रकार की राखियां बनने लगी। प्राचीन काल या पौराणिक काल में इस राखी के बंधन को भगवानों ने भी निभाया था आओ जानते हैं ऐसे ही किस्सें।
 
1. सबसे पहले भगवान इंद्र अपना राज्य असुर वृत्रा के हाथों गंवाने के बाद उसके विरुद्ध जब युद्ध के लिए जाने लगे तो भगवान बृहस्पति के अनुरोध पर इंद्र देव की पत्नी सचि ने उन्हें राखी बांध कर संग्राम में विजय होने के साथ-साथ उनकी रक्षा की प्रार्थना की थी। इंद्र ने इस बंधन की लाज रखी और वृत्तासुर को हराकार घर लौटे।
 
2. रक्षाबंधन मंत्र : येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधती हूं, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न होना।"
 
दरअसल, भगवान वामन ने महाराज बली को वचन के सूत्र में बांधकर उससे तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बली ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया था भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बली की सेवा में रहने लगे। उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।
 
3. एक और वृत्तांत के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने राखी बांध कर उन्हें अजरता और अमरता के वरदान से संपूर्ण किया था।
 
4. शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी तो कहते हैं कि द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दी थी। यह द्रोपदी का बंधन था। इसके बाद जब द्रौपदी का जब चीरहरण हो रहा था तब श्रीकृष्‍ण ने इस बंधन का फर्ज निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई थी।
 
5. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख