Biodata Maker

Ram Navami 2022 : श्री राम के जन्म के समय की 9 रोचक बातें

Webdunia
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022 (15:18 IST)
Ram Navami 2022 : भगवान प्रभु श्रीराम का जन्म वाल्मीकि कृत रामायण के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। आओ जानते हैं जन्म की 5 रोचक घटनाएं।
 
 
1. कैसे हुआ श्रीराम का जन्म : रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार पुत्र की कामना के चलते राजा दशरथ के कहने पर वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। इस यज्ञ के बाद कौसल्या आदि प्रिय रानियों को एक-एक फल खाने पर पुत्र की प्राप्त हुई।
 
2. कब हुआ था श्रीराम का जन्म : पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। परंतु आधुनिक शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। यानी आज से 7136 वर्ष पूर्व उनका जन्म हुआ था।
 
3. किस समय हुआ था श्रीराम का जन्म : दोपहर के 12.05 पर भगवान राम का जन्म हुआ था। उस समय भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। तब न बहुत सर्दी थी, न धूप थी।
4. जन्म के समय के ग्रह-नक्षत्र की स्थिति : वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।
 
5. कहां हुआ था श्रीराम का जन्म : श्री राम का जन्म भारतवर्ष में सरयू नदी के पास स्थित अयोध्या नगरी में एक महल में हुआ था। अयोध्या को सप्त पुरियों में प्रथम माना गया है। 
 
7. जन्म के समय खुशनुमा था माहौल: वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था। जन्म होते ही जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रहा था। देवता हर्षित थे और संतों के मन में चाव था। वन फूले हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
 
8. देवता उपस्थित हुए : जन्म लेते ही ब्रह्माजी समेत सारे देवता विमान सजा-सजाकर पहुंचे। निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे। सभी देवाता राम लला को देखने पहुंचे।
 
9. नगर में हुआ हर्ष व्याप्त : राजा दशरथ ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-संस्कार आदि किए और द्वीजों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया। संपूर्ण नगर में हर्ष व्याप्त हो गया। ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया। चारों और खुशियां ही खुशियां थीं। घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा। नगर के स्त्री-पुरुषों के झुंड के झुंड जहां-तहां आनंदमग्न हो रहे हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

01 November Birthday: आपको 1 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 01 नवंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Tulsi vivah vidhi 2025: तुलसी विवाह की संपूर्ण पूजा विधि और पूजन सामग्री शुभ मुहूर्त के साथ

Monthly Horoscope November 2025: नवंबर 2025: क्या आपकी राशि के लिए खुलेंगे धन-समृद्धि के द्वार? पढ़ें मासिक राशिफल

Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह पर चढ़ाएं ये खास भोग, मिलेगा भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद

अगला लेख