जो राष्ट्र का मंगल करें, वही राम है!

जीवन में संयम जरूरी

Webdunia
- स्वामी अवधेशानंद गिरि महारा ज
ND

जिस युग में हम जी रहे हैं, वह बाजार की जकड़ में है। भौतिक वस्तुएं ही व्यक्ति को सब कुछ लगने लगी हैं। व्यक्ति ग्राहक मात्र होकर रह गया है, इसलिए कथा तो सिर्फ एक बहाना है। वास्तविकता में कथा के माध्यम से हर साधक से जागना है और संस्कारों की फसल उगाना है।

समाज में जितनी भी प्रतिकूलताएं व प्रकृति में विकृतियां हैं, उन सबका मूल कारण संयम का न होना है। ज्यादा से ज्यादा पाने की इच्छा ने असंतुलन को जन्म दिया है। इसका एकमात्र समाधान है कि संयमित जीवन जिया जाए।

जैसा कि मिट्टी का घड़ा आकाश की ओर पीठ और धरती की ओर मुख करके पड़ा रहे तो चाहे कितनी भी वर्षा हो जाए, वह घड़ा नहीं भरेगा। उसी प्रकार क्रोध कामना की कोख से उपजता है। यदि कोई कामना अधूरी रहे तो व्यक्ति आपा खो बैठता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है।

ND
जिस प्रकार देवी पार्वती ने सती के रूप में अपने पिता से मिले अपमान से प्रभावित होकर प्राण त्याग दिए थे, इसलिए कामनाओं पर काबू आवश्यक है। मनुष्य आदर के प्रति अत्यधिक आसक्त होता है। वह सदैव आदर चाहता है।

इसका कारण यह है कि उसके भीतर ईश्वर का अंश है। इसी कारण उसे आदर सम्मान की इच्छा जागृत होती है, इसलिए यदि आप आदर चाहते हैं तो आदर बोइए। क्योंकि आदरणीय वही होते है, जो दूसरों को आदर देते हैं।

जो राष्ट्र का मंगल करें, वही राम है। जो लोकमंगल की कामना करें, वही राम है। सबसे आदर्श और मर्यादित व्यक्तित्व ही श्रीराम है।

जहां नीति है, वहां धर्म है : कवि सत्यनारायण सत्तन ने राम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन संघर्षमय रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने मर्यादा नहीं छो़ड़ी और वानर जाति को साथ लेकर लंकापति रावण का दमन किया। जहां नीति है, धर्म है, वहां श्रीराम साथ हैं, इसलिए संसार में उनसे बड़ा आदर्श पुरुष दूसरा कोई नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि नगर के मकानों, चौराहों से लेकर दूरदराज की चौपालों तक रामायण की चौपाई और दोहे वर्ष भर गूंजते रहते हैं। भगवान श्रीराम की महिमा और हनुमान की श्रद्घा जन-जन में स्थापित होने का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है।

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व