कार्यक्रम की मुख्य वक्ता और प्रसार भारतीय की अध्यक्ष प्रणाल पांडे ने किस्सागोई पर अपनी बातें कहीं। किस्सागोई के ऐतिहासिक पक्ष से लेकर मौजूदा समय तक की तमाम परतों पर उनकी बातें बेहद सार्थक रहीं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में महिलाओं के लिए लिखना आज भी आसान नहीं। इस अवसर पर कॉलेज की सहायक प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा ने भी अपने विचार रखे।