भगवान शिव का अति प्रिय श्रावण मास चल रहा है। बीते 2 वर्ष कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के चलते यह यात्रा स्थगित रही। अब यह यात्रा अपने पूरे चरम पर है और इस बीच कांवड़ियों की आस्था देखते ही बनती है।इस यात्रा में एक शिवभक्त अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे गड़वाकर करीब डेढ़ क्विंटल वजनी कांवड़ खींचते हुए चल रहा है। जो कि सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
धर्म नगरी हरिद्वार से शिवभक्त कांवड़िए गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर छोटे-बड़े मार्ग भगवामय हो चुके हैं। भक्ति के इस मेले में कोई शिवभक्त कंधे पर कांवड़ उठाकर चल रहा है, तो कोई शरीर के बल रेंगते हुए जा रहा है। ऐसे में शिव उपासना में डूबा एक भक्त सभी के आकर्षण का केंद्र बन गया है।
हरियाणा कैथल जिले के जोगिंदर गुज्जर नाम के इस कांवड़िए की आस्था देख लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं। यह शिवभक्त अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे गड़वाए हुए है, जिसके सहारे वह करीब डेढ़ क्विंटल वजन की कांवड़ खींचकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा है।
जोगिंदर केयोडक गांव का रहने वाला है और इस तरह की कांवड़ लाने की प्रेरणा उसे ताईक्वांडो कोच देशराज से मिली है। शिवभक्त जोगिंदर का कहना है कि जिस तरह बजरंग बली हनुमान जी ने अपना सीना चीरकर श्रीराम का हृदय में वास दिखाया था, उसी तरह मैं शिव प्रेम में आसक्त होकर अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे बिंदवाकर कांवड़ खींच रहा हूं। शिव के प्रेम के आगे दर्द बहुत छोटी चीज है, प्रभु स्मरण करने से दर्द होता ही नहीं है।
श्रद्धालु जोगिंदर ने कांवड़ यात्रा से पहले हरियाणा में वाल्मीकि जयंती के अवसर पर कमर में कुंडे डालकर एक बड़ा ट्रक खींचा था, जिसके बाद उनके मन में इच्छा हुई कि वह इस बार अनोखी कांवड़ लाएं। जिसके चलते उन्होंने अपनी पीठ पर कुंडे गड़वाकर डेढ़ क्विंटल की कांवड़ खींचने का प्रण लिया। हरियाणा से हरिद्वार कांवड़ लेने आए जोगिंदर गुज्जर जिस मार्ग से भी अपनी कांवड़ लेकर गुजर रहे हैं, वहां के लोग अचंभित हो रहे हैं और उनकी शिवभक्ति को नमन भी कर रहे हैं।