भाजपा की नजर अब मुलायम के वोट बैंक पर

Webdunia
रविवार, 30 जुलाई 2017 (14:53 IST)
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दलित वोटों के बाद अब पिछड़ों खासकर मुलायम सिंह यादव के कट्टर समर्थक माने जाने वाले 'यादव' वोटों पर पैनी नजर है।
 
राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को लखनऊ में इसी वजह से पार्टी के बूथ लेबल कार्यकर्ता सोनू यादव के यहां अपना दोपहर का भोजन रखवाकर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। 3 दिन के दौरे पर लखनऊ आए शाह ने दूसरे दिन सोनू यादव के यहां खाना खाने का निश्चय किया। सोनू यादव के यहां भोजन करने का खूब प्रचार भी करवाया गया।
 
उत्तरप्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या काफी है। 44 फीसदी पिछड़े मतदाताओं में से करीब 9 फीसदी यादव हैं। लोधी मतदाता 7 प्रतिशत, जाट 1.7 फीसदी, कुशवाहा और कुर्मी 4-4 प्रतिशत हैं। पिछड़े वर्ग के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या यादव की है। इस पर काफी दिनों से भाजपा की नजर है और शायद इसीलिए 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
 
केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा ने पिछड़े वर्ग के कुशवाहा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा में शामिल होने के बाद इस जाति के मतदाताओं ने भाजपा से अपने को और जोड़ा। पिछड़ों में लोधी जाति के करीब 7 फीसदी मतदाता हैं। राजस्थान के राज्यपाल और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वजह से इस जाति के ज्यादातर मतदाता भाजपा समर्थक माने जाते हैं। सिंह लोधी जाति के हैं।
 
काफी दिनो से भाजपा की नजर मुलायम सिंह यादव के पारंपरिक वोट बैंक माने जाने वाले यादव मतदाताओं पर थी। सोनू यादव के यहां भोजन कर शाह ने इस 'मार्शल कौम' को भाजपा की ओर खींचने का प्रयास किया है।
 
मुलायम सिंह यादव ने अपनी बिरादरी के किसी नेता को राज्य में मजबूत नहीं होने दिया। मित्रसेन यादव, रामसुमेर यादव, बलराम यादव अपनी जातियों के बड़े नेताओं में गिने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने धीरे-धीरे अपनी जाति का वटवृक्ष बनकर सभी को बौना कर दिया।

आजमगढ़ में रमाकांत यादव कई बार सांसद चुने गए। उनकी राजनीतिक कद-काठी बढ़ती जा रही थी। बिरादरी में वे बड़े नेता के रूप में उभर रहे थे। मुलायम सिंह यादव ने 2014 में मैनपुरी छोड़ आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और रमाकांत को हराया। हार की वजह से लगातार आगे बढ़ रहे रमाकांत की तेजी में ब्रेक लगा। भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े रमाकांत यादव को अभी भी इसकी टीस है।
 
अपनी पार्टी के वोट बैंक में लगातार इजाफा करने में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले भाजपा के पारंपरिक वोटों में दलितों को जोड़ना शुरू किया। दलितों के आदर्श बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर से जुड़े 5 स्थानों को 'पंच तीर्थस्थल' घोषित कर उनका विकास करवाया। संत रविदास की जन्मस्थली वाराणसी में जाकर कई घंटे गुजारे। संत रविदास की जन्मस्थली पर जाने वाले वे पहले प्रधानमंत्री थे। इसके बाद दलित वर्ग से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनवाया। कोविंद दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं।
 
दलितों को भाजपा से जोड़ने की मोदी की कवायद की बसपा अध्यक्ष मायावती ने काफी आलोचना की है। उन्होंने मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ कई बार तल्ख टिप्पणियां की हैं। शनिवार को ही समाजवादी पार्टी (सपा) के दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक विधान परिषद के इस्तीफे पर मायावती के साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखे बयान दिए। यादव ने भाजपा पर उनके लोगों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए इसे राजनीतिक भ्रष्टाचार तक कह डाला।
 
भाजपा को 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में 15 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में यह वोट 24.6 प्रतिशत था। वर्ष 2012 में पार्टी का करीब 8 फीसदी वोट घटा, क्योंकि पिछड़ों ने एकजुट होकर सपा को वोट देकर 2012 में उसकी सरकार बनवाई थी। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ी भाजपा को 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए और केंद्र में उसने सरकार बनाई। वर्ष 2017 में राज्य विधानसभा के चुनाव में अब तक उसे मिले वोटों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 41.4 प्रतिशत वोट हासिल कर लिया।
 
राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि 2017 में रिकॉर्ड वोट पाने वाली भाजपा के बजाय पिछड़े वर्ग के यादव और कुछ अन्य जातियों के ज्यादातर मतदाताओं ने उसे वोट नहीं दिया था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बार-बार कहते हैं कि इस बार के चुनाव में भाजपा 60 फीसदी वोट हासिल करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी। माना जा रहा है कि इसी लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा ने जातियों को जोड़ना शुरू किया है और इसी क्रम में शाह ने रविवार को सोनू यादव के यहां भोजन किया।
 
दूसरी ओर, भाजपा ने इस राजनीतिक अटकलबाजी को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी जातिवाद में विश्वास नहीं करती। पार्टी के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक का दावा है कि सोनू यादव पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं, पदाधिकारी हैं और इसीलिए शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के कुछ और नेता सोनू यादव के यहां खाना खाने गए थे। (वार्ता)
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