अन्ना हजारे का कमाल, रालेगण सिद्धि में अब समृद्धि की बहार

Webdunia
रविवार, 10 जुलाई 2016 (11:42 IST)
रालेगण सिद्धि। कभी भूख, बंजर जमीन और नशे की समस्या से जूझ रहा महाराष्ट्र का रालेगण सिद्धि गांव न केवल तेजी से समृद्धि की ओर बढ़ रहा है, बल्कि पठारी इलाके में बसा यह गांव अब कस्बे का रूप लेने लगा है।
 
देश के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने फौज की नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद जब अपने पुश्तैनी गांव को अपनी कर्मभूमि बनाई, तब यहां के लोग न केवल भूख की समस्या से जूझ रहे थे, बल्कि नशे की प्रवृत्ति ने उनके जीवन को नरक बना रखा था और पानी की समस्या तथा बंजर जमीन के कारण कारण खेती ने अभिशाप का रूप ले रखा था।
 
आज इस गांव में ज्वेलरी की दुकानें, रेस्तरां, दैनिक जरूरतों की वस्तुओं की दुकानें, मोटर गैराज, बैंक, एटीएम तथा कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। लगभग हर घर में शौचालय की सुविधा वाले इस गांव में लड़कियां दोपहिया वाहनों से फर्राटे से सफर करती हैं। अन्ना हजारे ने जब इस गांव में परिवर्तन का संकल्प लिया तो उन्होंने सबसे पहले जल संरक्षण और पौधारोपण पर सबसे अधिक ध्यान दिया।
 
जल संरक्षण के लिए जगह-जगह चेक डैम का निर्माण ग्रामीणों के सहयोग से किया गया ताकि लोग खेती-बाड़ी का काम कर सकें। भूगर्भ जल का स्तर बढ़ाने के लिए जगह-जगह कुओं का निर्माण भी किया गया। कुओं के निर्माण के लिए पत्थरों का उपयोग किया किया गया, हालांकि इनमें से कुछ कुओं की स्थिति अब अच्छी नहीं है।
 
बिजली और टेलीफोन की सुविधा से लैस इस गांव के लोग अपनी जरूरतों के लिए अनाज का उत्पादन तो करते ही हैं, पशुओं के लिए प्रचुर मात्रा में हरे चारे, बकरी पालन, डेयरी और कुक्कुट पालन कर अतिरिक्त आय भी अर्जित करते हैं। डेयरी को लेकर लोगों में ज्यादा ही उत्साह है। खुशी की बात यह है कि यहां के किसान सब्जियों और फलों के उत्पादन में भी विशेष रुचि लेते हैं।
 
यहां बच्चों की शिक्षा के लिए प्राथमिक विद्यालय तो है ही, अन्ना हजारे ने अपने प्रयास से एक उच्च विद्यालय का भी निर्माण कराया है, जहां 'बिगड़ैल' किस्म के बच्चों का नामांकन कराया जाता है। 
 
अन्ना हजारे के मीडिया विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि जो बच्चे बार-बार फेल होते हैं, जिनकी पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं नहीं होती है और जो बाल अपराध में शामिल होते हैं, ऐसे विद्यार्थियों का इस स्कूल में नामांकन किया जाता है।
 
पहाड़ी पर स्थित इस स्कूल में रालेगण सिद्धि और आसपास के गांवों के लगभग 1,000 बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस विद्यालय के निकट ही एक छात्रावास है, जहां लगभग 300 छात्रों को रखा गया है। 
 
हरे-भरे इस गांव में वन विभाग ने एक खूबसुरत भवन का निर्माण कराया है, जहां वन्य जीवों के संरक्षण तथा प्रकृति की सुरक्षा को लेकर स्थायी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इस भवन के बाहरी स्वरूप को ऐसा डिजाइन किया गया है जिससे यह आभास होता है कि पूरा भवन बांस और लकड़ियों से बनाया गया है। (वार्ता) 
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