जम्मू। कश्मीर के सबसे प्रसिद्ध कृष्णा ढाबे पर हुआ आतंकी हमला और परिणामस्वरूप ढाबा मालिक के बेटे की मौत को कश्मीर में जारी आतंकी घटनाओं में से एक नहीं कहा जा सकता बल्कि इस हमले के पीछे कई संदेश हैं। सबसे बड़ा संदेश इस हमले के तुरंत बाद आतंकियों ने खुद हमले की जिम्मेदारी लेते हुए जो प्रेस नोट जारी किया था, उसी में था। मुस्लिम जांबाज फोर्स ने जिम्मेदारी लेने के साथ ही उन गैर कश्मीरियों को चेतावनी दी थी, जो कश्मीर में रहते हुए डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाना चाहते थे।
दरअसल, अलगाववादियों व आतंकियों ने केंद्र सरकार के उस फैसले को अभी भी नहीं माना है जिसके तहत 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को धारा 370 के तहत जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, उन्हें छीनकर 2 टुकड़ों में बांटकर उसकी पहचान छीन ली थी। हालांकि अक्टूबर 2019 में भी आतंकियों ने 5 प्रवासी श्रमिकों को मौत के घाट उतारा था। पर 5 अगस्त 2019 के बाद कृष्णा ढाबे के मालिक के बेटे आकाश मेहरा की मौत दूसरी ऐसी हत्या थी, जो जम्मू के निवासी थे और कश्मीर में रहते हुए डोमिसाइल के लिए आवेदन कर रहे थे। इससे पहले सैनिक कॉलोनी के रहने वाले सुनार सतपाल सिंह की 31 दिसंबर को कश्मीर में हत्या कर दी गई थी जिसने डोमिसाइल प्रमाण पत्र की मांग की थी।
इतना जरूर था कि अधिकारी इस हमले को आने वाली गर्मियों में आने वाले खतरे से जोड़कर देखते हैं। हालांकि मुस्लिम जांबाज फोर्स ने सीधे तौर पर पर्यटकों को अपने धमकीभरे पत्र में कोई चेतावनी नहीं दी थी लेकिन गैर कश्मीरियों को कश्मीर से दूर रहने की सलाह को अधिकारी चेतावनी के तौर पर लेते हुए कहते थे कि इन गर्मियों में कश्मीर के हालात ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
इसी चुनौती से निपटने की रणनीति तैयार करते हुए कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार खुलासा करते हुए कह चुके हैं कि 'हैं तैयार हम भी।' इसी तैयारी के तहत कश्मीर में पिछले 12 दिनों से राह चलते नागरिको को सरेराह रोककर तलाशी लेने से लेकर इमारतों पर शार्प शूटरों को तैनात करने की कवायद भी आरंभ हो चुकी है। इतना जरूर था कि इस कवायद में कश्मीरियों को फिरन न पहनने की दी जाने वाली सलाह गुस्से को बढ़ा रही थी।